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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष द्वारा 17 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विधायकों के अयोग्यता का फैसला सही है। लेकिन वो चुनाव लड़ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस्तीफे से स्पीकर का अधिकार खत्म नहीं होता है। पार्टियां सुविधा से स्टैंड बदलती है। नैतिकता सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पर लागू होती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उसका फैसला मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित है और यह अध्यक्ष के विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने संबंधी अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करता।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उपचुनाव में जीतने पर ये विधायक मंत्री बन सकते हैं या सार्वजनिक कार्यालय का प्रभार संभाल सकते हैं । आपको बता दें कि कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने तक 14 असंतुष्ट विधायकों को तत्काल प्रभाव से अयोग्य करार दिया था। इसमें कांग्रेस के 11 और जेडीएस के तीन विधायक शामिल हैं।

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा ने सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।

इससे पहले, कर्नाटक विधानसभा स्पीकर केआर रमेश ने एचडी कुमारस्वामी सरकार गिरने के दो दिन बाद कार्रवाई करते हुए गुरुवार को तीन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। अयोग्य घोषित किए जाने वाले विधायको में रमेश ए जरकीहोली, महेश कुमथल्ली और आर शंकर शामिल थे। गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा में एचडी कुमारस्वामी बहुमत साबित नहीं कर पाई थी। सदन में बहुमत के पक्ष में सर्फ 99 वोट ही पड़े थे जबकि विपक्ष में 105 पड़े थे। जिसके बाद अब अयोग्य करार दिए गए विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हुए थे।

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