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चेन्‍नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हिंदी पर जोर भारत की ‘अखंडता और बहुलवाद' के खिलाफ है और यह अभियान सफल नहीं होगा। अमित शाह द्वारा सात अप्रैल को दिये गये उस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तमिलनाडु के सीएम ने कहा कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए, न कि स्थानीय भाषाओं के लिए, स्टालिन ने कहा कि यह विचार देश की अखंडता को बर्बाद कर देगा। तृणमूल कांग्रेस ने भी कहा है कि गैर हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध किया जाएगा। गौरतलब है कि शाह ने गुरुवार कोकहा था कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के नहीं, बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और यह निश्चित तौर पर हिंदी के महत्व को बढ़ाएगा।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम के अध्यक्ष स्टालिन ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा कि भारत के बहुलवाद को नुकसान पहुंचाने की दिशा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेता लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘क्या अमित शाह यह सोचते हैं कि ‘हिंदी राज्य' काफी हैं और भारतीय राज्यों की जरूरत नहीं है?'' मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘आप बार-बार वही गलती कर रहे हैं। हालांकि, आप सफल नहीं होंगे।''

तृणमूल कांग्रेस ने भी शुक्रवार को कहा कि गैर हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध किया जाएगा। टीएमसी ने कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रीय भाषा नहीं है। पार्टी ने कहा कि शाह का “एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म” का एजेंडा कभी पूरा नहीं होगा। तृणमूल के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा, ”अगर अमित शाह और भाजपा ने गैर हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का प्रयास किया तो इसका विरोध किया जाएगा। इस देश के लोग, जहां इतनी विविधता है, इस प्रकार की चीज को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”

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