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चेन्नई: सरकार के एक विधेयक को 'ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के हितों के खिलाफ' बताते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) से छूट देने के प्रावधान वाले इस विधेयक को राज्य सरकार को लौटा दिया है। राजभवन की तरफ से जारी एक बयान में इस बात की जानकारी देते हुए कहा गया है कि राज्यपाल ने विधेयक और इस संबंध में राज्य सरकार की गठित एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु को लौटा दी है।

राज्यपाल ने तर्क दिया है कि यह विधेयक ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के हितों के खिलाफ है। राजभवन के बयान के मुताबिक, राज्यपाल ‘स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट से छूट देने से संबंधित साल 2021 के एलए बिल संख्या 43 और इस संबंध में राज्य सरकार की गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट का विस्तृत अध्ययन करने और सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए मेडिकल प्रवेश में सामाजिक न्याय की नीट पूर्व स्थिति पर गौर करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह विधेयक छात्रों, खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के हितों के खिलाफ है।'

बयान में आगे कहा गया है, ‘इसलिए राज्यपाल ने तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष को पहली फरवरी, 2022 को विस्तृत कारण बताते हुए सदन को दोबारा विचार करने के लिए यह विधेयक वापस कर दिया है।' राजभवन के बयान के मुताबिक 'उच्चतम न्यायालय ने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर एसोसिएशन बनाम भारत संघ (2020) मामले में सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से इस मुद्दे की व्यापक जांच की है और नीट को बरकरार रखा है, क्योंकि यह गरीब छात्रों के आर्थिक शोषण को रोकता है और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है।'

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