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चेन्नई: तमिलनाडु में अब श्रद्धालु तमिल भाषा में भी मंदिरों में प्रार्थना कर सकेंगे। राज्य की एमके स्टालिन सरकार ने इसे लेकर बड़ा ऐलान किया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि मंदिरों में प्रार्थना करने वाले श्रद्धालुओं के पास अब तमिल में प्रार्थना करने का विकल्प भी मौजूद होगा। राज्य की डीएमके सरकार ने 'अन्नई थमिज़िल अर्चनाई' की शुरुआत की है। इसका अर्थ होता है मातृभाषा तमिल में प्रार्थना। अभी तमिलनाडु के कुल 47 मंदिरों में श्रद्धालुओं को तमिल में प्रार्थना करने का विकल्प दिया गया है। एक खास बात यह भी है कि तमिल में प्रार्थना करवाने के लिए मंदिरों के पुजारियों को प्रशिक्षित भी किया गया है। जो पुजारी इस भाषा में प्रार्थना करवाएंगे उनके नाम और नंबर भी मंदिर परिसर में लगाए जाएंगे ताकि यहां आने वाले श्रद्धालु उनसे संपर्क कर सकें।

चेन्नई के कपिलेश्वर मंदिर में इस योजना की शुरुआत करते हुए राज्य के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती मंत्री पीके शेखर बाबू ने कहा कि इस विचार की कल्पना साल 1974 में की गई थी। अतीत में ऐसा होता भी आया है। अब हमने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सलाह पर इस योजना को आगे बढ़ाया है।

इससे सभी वर्ग संतुष्ट होंगे और किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी।'

यहां राज्य सरकार की तरफ से यह भी साफ किया गया है कि संस्कृत में प्रार्थना करने का विकल्प पहले की तरह ही जारी रहेगा। चेन्नई के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने 'एनडीटीवी' से बातचीत में कहा कि जब हम पुजारी की प्रार्थना को समझेंगे तब यह ज्यादा मीनिंगफुल लगेगा। संस्कृत में प्रार्थना में हम प्रार्थना के अर्थ को आसानी से नहीं समझ पाते।' बहरहाल आपको बता दें कि तमिलनाडु सरकार इस योजना को राज्य के सभी मंदिरों में शुरू करने की तैयारी में भी है। इसके लिए सभी पुजारियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

 

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