नई दिल्ली: तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में डीएमके और एआईएडीएम के के गठबंधन के बीच टक्कर मानी जा रही है। कांग्रेस को वर्ष 2016 के चुनाव में डीएमके ने 41 सीटें आवंटित की थीं, लेकिन वह महज 7 सीटें जीत पाई थी। लिहाजा सूत्रों का कहना है कि डीएमके इस बार कांग्रेस को 25 सीटें ही देने की पक्षधर है।
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में डीएमके और एआईएडीएम के गठबंधन के बीच टक्कर मानी जा रही है। कांग्रेस को वर्ष 2016 के चुनाव में डीएमके ने 41 सीटें आवंटित की थीं, लेकिन वह महज 7 सीटें जीत पाई थी। लिहाजा सूत्रों का कहना है कि डीएमके इस बार कांग्रेस को 25 सीटें ही देने की पक्षधर है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस को राज्यसभा की एक सीट भी डीएमके देने को तैयार है।
तमिलनाडु में पिछले चुनाव के प्रदर्शन और डीएमके गठबंधन में कई दलों को देखते हुए कांग्रेस इस बार ज्यादा सौदेबाजी करने की स्थिति में नहीं दिख रही है। सीटों के बंटवारे पर तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष केएस अलागिरि ने कहा था कि गेंद डीएमके के पाले में है।
दोनों पक्षों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी हैं। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तमिलनाडु के कई दौरे भी कर चुके हैं।
2016 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 41 में से 7 सीटें ही जीत पाई थी, यह डीएमके के बहुमत से दूर रहने की एक बड़ी वजह बनी थी। डीएमके को उम्मीद है कि इस बार तमिलनाडु में सत्ता का उसका 10 साल का वनवास खत्म होगा। डीएमके ने 3 सीटें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और दो सीटें मैंथेनेया मक्कल काची को दी हैं।
उधर, एआईएडीएमके के गठबंधन में शामिल भाजपा को भी सत्तारूढ़ पार्टी ने ज्यादा सीटें नहीं दी हैं। भाजपा को एआईएडीएमके ने 20 सीटें आवंटित की हैं। तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव की 234 सीटें हैं और यहां एक ही चरण में 6 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। डीएमके और एआईएडीएमके के गठबंधन के बीच सीधी टक्कर के बीच सबकी निगाहें कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मयम के प्रदर्शन पर भी टिकी हैं।