चेन्नई: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए जे जयललिता की अस्पताल में काफी दिनों तक बीमार रहने के बाद मौत हो गई थी। उनकी मौत पर तमाम तरह के सवाल उठे थे। अब तमिलनाडु सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की है। हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज के नेतृत्व में एक जांज आयोग गठित किया जाएगा। गौरतलब है कि अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों में विलय की तैयारियां चल रही है। माना जा रहा है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम की अगुवाई वाले गुट द्वारा रखी गई विभिन्न शर्तों में से यह भी एक थी। पनीरसेल्वम गुट ने जयललिता की मौत के कारणों पर संदेह व्यक्त किया था और मामले की जांच की मांग की थी। इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी की अगुवाई वाले धड़े अन्नाद्रमुक (अम्मा) ने पार्टी के उप-महासचिव टी.टी.वी दिनाकरण की सत्ता को चुनौती दी। पनीरसेल्वम धड़े ने इसे 'जागने वाला' कदम करार दिया। पलानीस्वामी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में कहा गया कि उप-महासचिव के तौर पर दिनाकरण की नियुक्ति पार्टी के नियम-कायदों के खिलाफ थी। दिनाकरण जेल में बंद पार्टी की प्रमुख वी.के. शशिकला के भतीजे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री की मौत की जांच की घोषणा करते समय मुख्यमंत्री ई. पलानीसामी ने यह भी ऐलान किया कि जयललिता के पोएस गॉर्डन आवास को मेमोरियल के रूप में विकसित किया जाएगा। 5 दिसंबर 2016 को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का निधन हो गया था। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मृत्यु के कारणों की जांच कराने की मांग करते हुए मद्रास हाई कोर्ट में 11 अगस्त को एक और याचिका दायर की गई। एसए मियाजन की ओर से दायर की गई याचिका में इसके लिए जांच आयोग गठित करने की मांग की गई है। याची ने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताया है। मृत्यु की असली वजह निर्धारित करने के लिए उन्होंने समाधि से दिवंगत नेता का शव बाहर निकालने और उसका पोस्टमार्टम कराने की मांग की है।