कोलकाता: पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। ऐसे में राज्य में दल-बदल का दौर जारी है। इसी कड़ी में भाजपा में शामिल हुए तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों ने सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इसके बाद से ही बंगाल के सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। जानकार इस मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाल रहे हैं। जानकारी के अनुसार, बनगांव उत्तर से विधायक विश्वजीत दास और नोआपाड़ा के विधायक सुनील सिंह ने विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कक्ष में उनसे मुलाकात की। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के चेंबर में प्रवेश करने के बाद दास ने मुख्यमंत्री के पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया। उनके साथ विधायक सुनील सिंह भी मौजूद थे।
इसके कुछ ही देर बाद ममता ने उत्तर 24 परगना जिले के अध्यक्ष व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक और नेता पार्थ भौमिक को अपने कक्ष में बुला लिया। फिर शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम भी वहां पहुंच गए। इस मुलाकात के बाद से ही यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या भाजपा में शामिल हुए दोनों विधायक फिर से तृणमूल में लौट रहे हैं?
जब दोनों विधायकों से इस मुलाकात की वजह के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के संबंध में मुख्यमंत्री से मिले थे। इन दोनों विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र उत्तर 24 परगना जिले में हैं।
वहीं, भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस मुलाकात के पीछे किसी भी राजनीतिक मकसद को खारिज किया। इसे लेकर उन्होंने कहा कि दोनों ही विधायकों ने इसके बारे में पार्टी को पूर्व सूचना दी थी। उन्होंने कहा कि इसे किसी और रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। विधायकों के रूप में वह अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री से हमेशा मिल सकते हैं।
गौरतलब है कि दास और सिंह साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया था। बैठक के बाद दोनों विधायकों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने का आश्वासन दिया है।
उल्लेखनीय है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से तृणमूल कांग्रेस के 18 विधायक व सांसद, कांग्रेस और माकपा के तीन-तीन विधायक और भाकपा का एक विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। हालांकि, पूर्व मंत्रियों सुवेंदु अधिकारी और राजीव बनर्जी के अलावा किसी ने भी विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया।