हल्दिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को पश्चिम बंगाल के हल्दिया पहुंचे। उन्होंने यहां भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन द्वारा निर्मित एलपीजी आयात टर्मिनल और दुर्गापुर प्राकृतिक गैस पाइप सेक्शन को राष्ट्र को समर्पित किया। इसके बाद उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने सबसे पहले उत्तराखंड त्रासदी पर दुख जताते हुए कहा कि मां गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखंड इस समय आपदा का सामना कर रहा है।
ग्लेशियर टूटने से वहां नदी का जलस्तर बढ़ गया है। मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भारत सरकार के गृहमंत्री से लगातार संपर्क में हूं। पीएम ने कहा कि राहत एवं बचाव का कार्य चल रहा है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। मेडिकल सुविधाओं में कमी न हो, इसपर जोर दिया जा रहा है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ममता बनर्जी पर भी जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को 'भारत माता की जय' सुनना पसंद नहीं हैं। वे इस नारे को सुनते ही काफी नाराज हो जाती हैं। बंगाल में आप दीदी से अपने अधिकार की बात पूछ देंगे तो वो नाराज हो जाती हैं। लेकिन देश के खिलाफ बोलने वाले कितना भी जहर उगल दें, दीदी को गुस्सा नहीं आता।
उन्होंने कहा कि अपराध और अपराधियों का, हिंसा का और लोकतन्त्र पर हमलों का पुनर्जीवन। इससे पश्चिम बंगाल में गरीबी का दायरा और बढ़ता गया। पीएम ने कहा कि बंगाल पहले से जितना आगे था, अगर बीते दशकों में उसकी वो गति और बढ़ी होती, तो आज बंगाल कहां से कहां पहुंच गया होता। आज यहां जितने भी उद्योग हैं, जितना भी कारोबार है, जितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर है, वो बदलाव चाहते हैं, आधुनिकता चाहते हैं। लेकिन आप सोचिए, बीते 10 सालों में यहां की सरकार ने कितनी फैक्ट्रियों का शिलान्यास या उद्घाटन किया?
पीएम ने कहा कि उस बड़े स्टील प्लांट का क्या हुआ जो यहां की अराजक व्यवस्थाओं के कारण शुरू ही नहीं हो सका?
बंगाल को आस थी ममता की लेकिन उसे निर्ममता मिली
पश्चिम बंगाल की इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण है यहां की राजनीति। आजादी के बाद जब पश्चिम बंगाल के विकास को नई दिशा देने की जरूरत थी तब यहां विकास वाली राजनीति नहीं हो पाई। पहले कांग्रेस ने शासन किया, तो भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा। फिर लेफ्ट का शासन लंबे समय तक रहा, उन्होंने भ्रष्टाचार, अत्याचार बढ़ाने के साथ ही विकास पर ही ब्रेक लगा दिया।
2011 में पूरे देश की नजरें बंगाल पर थीं। लेफ्ट की हिंसा और भ्रष्टाचार का जर्जर किला ढहने की कगार पर था। उस समय ममता दीदी ने बंगाल से परिवर्तन का वादा किया। उनके इस वादे ने पूरे देश का ध्यान खींचा, लोगों ने भरोसा किया। बंगाल को आस थी ममता की लेकिन उसे निर्ममता मिली।
लेकिन ममता सरकार के पहले साल में ही ये साफ हो गया कि, बंगाल को जो मिला है वो परिवर्तन नहीं, लेफ्ट का पुनर्जीवन है। वो भी सूद समेत। लेफ्ट का पुनर्जीवन यानी भ्रष्टाचार का पुनर्जीवन।
टी वर्कर्स के खिलाफ साजिश
पीएम ने कहा कि साजिश करने वालों की बेचैनी इतनी ज्यादा है कि भारत को बदनाम करने के लिए वो चाय से जुड़ी भारत की पहचान पर हमला करने की बात कह रहे हैं। टी वर्कर्स की कड़ी मेहनत पर हमला करने का षड्यंत्र किया जा रहा है।