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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में उभरती भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ लामबंदी शुरू हो गई है। बिहार की प्रमुख पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) महाराष्ट्र की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के शीर्ष नेताओं ने सोमवार को बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ गठबंधन बनाने के लिए सहमति व्यक्त कर दी है। 

गठबंधन को लेकर आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी के युवा विंग के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी से मुलाकात की। वहीं, टीएमसी नेता और सांसद सौगत रॉय ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से दिल्ली में बातचीत की। एनसीपी प्रमुख ने ममता बनर्जी से फोन पर भी बात की।

बंगाल से मंगलवार को पटना लौटने के बाद आरजेडी नेता श्याम रजक ने मीडिया से कहा कि मैं अभिषेक बनर्जी से मिला और हम एक एजेंडे पर सहमत हुए हैं। बंगाल में भाजपा को पराजित करना हमरा एकमात्र लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि हमने पहले दौर की वार्ता में सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं की है। ये बात में हो सकता है। हम अब बंगाल में लगातार जाना-आना रहेगा। बता दें कि आरजेडी ने रविवार को कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी की थी। 

वहीं, सौगत रॉय ने कहा कि वह बहुत खुश हैं कि क्षेत्रीय दलों ने टीएमसी को अपना समर्थन देने की पेशकश की है। रॉय ने आगे कहा कि पवार और मेरे बीच सोमवार को बातचीत हुई। वह ममता बनर्जी के संपर्क में हैं। रॉय ने बताया कि एनसीपी की दार्जिलिंग जिला इकाई बुधवार को एक बैठक भी करने वाली है। रॉय ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भी टीएमसी के साथ गठबंधन बनाने के लिए उत्सुक है। रॉय ने कहा कि अखिलेश यादव कोलकाता जा सकते हैं। जो कि एक उम्मीद भरा संकेत हैं। एक आम सहमति बन रही है कि भाजपा को रोकने की जरुरत है। 

सपा उपाध्यक्ष किरणमय नंदा भी पिछले सप्ताह से ही कोलकाता में ढेरा डाले हुए हैं। पश्चिम बंगाल सोशलिस्ट पार्टी के नेता किरणणय नंदा ज्योति बसु और बुद्धदेव भट्टाचार्जी सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि, अब उनकी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय हो गया है।

विशेषज्ञों की माने तो ममता बनर्जी की एंटी भाजपा वोटों पर नजर है। किसी भी तरह से वो उन वोटरों का लाभ लेना चाहती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य में क्षेत्रीय पार्टी की एंट्री हो रही है। जिससे हिंदी भाषी और आदिवासी लोगों द्वारा डाले गए वोटों में विभाजन की संभावना बढ़ गई है। इस तरह के विभाजन का लाभ, चाहे कितना भी छोटा हो, कहीं न कहीं टीएमसी की मदद कर सकता है।

दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि वह पश्चिम बंगाल की 294 सीटों में से 200 से अधिकी सीटें जीतेगी। जबकि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दावा है कि भाजपा 99 से अधिक सीट जीतती है तो वो अपना पेशा छोड़ देंगे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने टीएमसी के लिए रणनीति तैयार की थी, तब बंगाल में बीजेपी ने 42 में से 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। 

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