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पुरुलिया (पश्चिम बंगाल): वरिष्ठ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने रविवार को पश्चिम बंगाल सरकार पर केंद्रीय योजनाओं को अपना बनाकर पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ममता बनर्जी सरकार में केवल तीन-चार लोगों के पास अधिकार हैं और बाकी लोग रबर स्टांप की तरह काम कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि देशभर में तीन करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों और 50 साल से अधिक उम्र के 27 करोड़ लोगों को कोरोना वायरस का टीका नि:शुल्क लगाया जाएगा लेकिन इस घोषणा के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी कोरोनो योद्धाओं को पत्र लिखकर कहा कि उनकी सरकार टीकाकरण के लिए कोई शुल्क नहीं लेगी।

इससे पहले आज दिन में ममता बनर्जी ने कहा था कि केवल कोरोना योद्धाओं को ही नहीं, बल्कि राज्य की समस्त जनता को कोविड-19 टीके मुफ्त में लगाने के बंदोबस्त किये जा रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि अग्रिम मोर्चे पर रहकर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

तृणमूल कांग्रेस सरकार पर केंद्रीय योजनाओं के नाम बदलकर अपना बताने के आरोप लगाते हुए राज्य के पूर्व मंत्री अधिकारी ने कहा, ''केंद्र के स्वच्छ भारत अभियान का नाम बदलकर निर्मल बांग्ला मिशन कर दिया गया है।''

पूर्व तृणमूल नेता ने यहां एक जनसभा में दावा किया कि कोयला और अन्य खनिजों समेत पुरुलिया के प्राकृतिक संसाधनों को संगठित गिरोहों द्वारा लूटा जा रहा है और राज्य सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर रही। पूर्व विधायक ने आदिवासी बहुल जिले में अपने भाषण में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संथालियों की ओल चीकी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता दी थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने इसे प्रोत्साहित करने के लिए कोई पुस्तक या शिक्षण सुविधा उपलब्ध नहीं कराई।

उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस अब राजनीतिक दल नहीं रहा और यह पार्टी एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम कर रही है। अधिकारी ने आरोप लगाया, ''दक्षिण कोलकाता के तीन या चार लोग सरकार चला रहे हैं और उनके हाथों में 30 में से 20 विभाग हैं।'' अधिकारी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने लंबे समय तक राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की अनदेखी की है और ''लड़ाई गांवों तथा दक्षिण कोलकाता के कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के बीच है। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल शिक्षकों की भर्ती के लिए जिला स्तरीय सेवा आयोगों की जगह कोलकाता में एक केंद्रीकृत प्रणाली बना दी गई है और इस तरह युवाओं के लिए नौकरी के अवसर घट रहे हैं।

 

 

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