कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को टीमएसी प्रमुख ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को उनके संगठन पर आरोप लगाने के बजाए खुद का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और देखना चाहिए कि किस तरह से भाजपा ने राज्य में 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। ओवैसी ने खुद को सियासत की लैला बताते हुए कहा कि उनके मजनू बहुत हैं। ओवैसी मौलाना अब्बासुद्दीन सिद्दिकी से मिलने गए थे। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के इन दावों को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी भाजपा की बी-टीम है और भगवा दल के विरोधी वोट में सेंध लगाएगी।
ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा, ''हम राजनीतिक दल हैं, हम अपनी उपस्थिति साबित करेंगे और चुनाव लड़ेंगे (पश्चिम बंगाल में)।" ओवैसी ने कहा, ''...भारत की सियासत की मैं लैला हूं और मेरे मजनू बहुत हैं, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।" इसके बाद एक चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी यह तय नहीं किया है कि यह अकेले चुनाव लड़ेगी या किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन करेगी।
एआईएमआईएम प्रमुख ने दावा किया कि फुरफुरा शरीफ के पीरजादा सिद्दिकी का उन्हें समर्थन हासिल है। बंगाल के हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ विख्यात दरगाह है।
बिहार चुनाव को लेकर टीएमसी के आरोपों पर क्या बोले ओवैसी?
बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा नीत एनडीए की जीत में एआईएमआईएम द्वारा सहयोग करने के तृणमूल के दावे को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य में उनकी पार्टी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उसने पांच सीटों पर जीत हासिल की और महागठबंधन ने नौ सीटों पर जीत हासिल की, जबकि राजग ने छह सीटें जीतीं। ओवैसी ने कहा, ''तृणमूल कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के पक्ष में क्या रहा। पार्टी को विश्लेषण करना चाहिए कि उसके सदस्य क्यों छोड़ रहे हैं...।"
तृणमूल ने ओवैसी की यात्रा पर साधा निशाना
दूसरी ओर, एआईएमआईएम प्रमुख की फुरफुरा शरीफ की यात्रा पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। टीएमसी के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘एआईएमआईएम, भाजपा के छद्म रूप के अलावा कुछ नहीं है। ओवैसी अच्छी तरह से जानते हैं कि यहाँ ज्यादातर मुसलमान बंगाली भाषी हैं, और उनका समर्थन नहीं करेंगे। वह अब्बास सिद्दीकी के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। बंगाल में मुसलमान ममता बनर्जी के साथ मजबूती से खड़े हैं।’
ओवैसी के आने से बंगाल में बदल सकते हैं चुनावी समीकरण
इस बीच, राज्य में प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने दावा किया है कि एआईएमआईएम के बंगाल चुनाव में प्रवेश के साथ यहां के चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, ओवैसी अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं और इसके लिए वह पश्चिम बंगाल में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में लगे हुए हैं, क्योंकि राज्य में लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। इनमें से कम से कम 24 फीसदी बंगाली भाषी मुस्लिम हैं। पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है।