नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जिसमें उनका कहना है कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं और राज्य की योजनाओं का समर्थन करने की शक्ति नहीं है। इस वजह से मेरे लिए बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है। मोदी के पिछले कार्य काल में भी ममता ऐसे बैठकों से दूर रहती थी। इस बार पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं गईं और लगातार भाजपा और मोदी सरकार की आलोचना कर रही हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री योजना आयोग को खत्म करके उसकी जगह नए संगठन के निर्माण पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पहले भी नीति अयोग की बैठकों में शामिल नहीं हुई है। बनर्जी राज्यों के बीच एक अतंर-राज्यीय समन्वय बनाने के लिए एक नई व्यवस्था के गठन की पैरवी करती रही हैं। बनर्जी ने पत्र में लिखा, 'नीति आयोग के साथ पिछले साढ़े चार सालों से अनुभव ने मुझे आपको पूर्व में दिए सुझाव पर वापस ला दिया है कि हमें संविधान की धारा 263 के तहत उचित संशोधनों के साथ अतंर राज्यीय परिषद् का गठन करना चाहिए।
उन्होंने आगे लिखा, जिससे कि संविधान द्वारा मिली शक्तियों का उचित क्रियान्वयन हो सके। इससे आपसी समन्वय गहरा होगा और संघीय राजनीति को मजबूती मिलेगी।'
उन्होंने आगे लिखा, 'दुर्भाग्य से योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग नाम के एक नए संगठन का एक जनवरी, 2015 को गठन किया गया। जिसे राज्यों की सहायता, उनकी आवश्यकता के आकलन के आधार पर कोई वित्तीय अधिकार प्रदान नहीं किए गए, जैसा कि पूर्ववर्ती योजना आयोग द्वारा किया जा रहा था। इसके अलावा, नए संगठन में राज्यों की वार्षिक योजना के समर्थन की शक्ति का भी अभाव है।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग की पांचवी बैठक की 15 जून को अध्यक्षता करेंगे।