पटना: बिहार की जमुई लोकसभा क्षेत्र के सांसद चिराग पासवान और केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस से झगड़े के बीच शनिवार को चुनाव आयोग ने बड़ा निर्णय लिया है। इलेक्शन कमीशन ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का सिंबल (बंगला) फ्रीज कर दिया है। केंद्रीय मंत्री रहे रामविलास पासवान के निधन बाद लोजपा में टूट हुई थी, जिसके बाद चिराग और पशुपति दोनों अपने को लोजपा का असली मालिक बता रहे थे। इसी बीच चुनाव आयोग ने बड़ा निर्णय लेते हुए पार्टी का सिंबल फ्रीज कर दिया है। हालांकि चुनाव आयोग ने दोनों ही पक्षों को अपनी ओर से हल निकालने के लिए कहा है। आयोग ने कहा कि चिराग और पारस अपने-अपने पक्ष और चिह्न का चयन कर लें।
ऐसे में बिहार की दो विधानसभा सीट कुशेश्वरस्थान और तारापुर के लिए होने वाले उपचुनाव में प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रहे चिराग को बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग के फैसले के बाद अब चिराग और पशुपति पारस गुट चुनाव चिह्न बंगले का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।
हालांकि शुक्रवार को बिहार भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने साफ कर दिया था कि लोजपा के मालिक पशुपति कुमार पारस हैं। उन्होंने कहा था कि बिहार की दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस एनडीए के उम्मीदवार को समर्थन में प्रचार करेंगे। इस बीच चिराग पासवान ने भी अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है। इसको लेकर रविवार को पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है। चिराग गुट की लोजपा की तरफ से बताया गया था कि संसदीय बोर्ड की बैठक में दोनों सीट पर होने वाले चुनाव के लिए प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगा दी जाएगी। पशुपति पारस पहले ही कह चुके हैं वह एनडीए के साथ हैं। वहीं चिराग ने हाल ही में मीडिया को बयान देते हुए कहा था कि चुनाव आयोग को पता है कि असली लोजपा किसकी है। ऐसे में चिराग की दो सीटों पर प्रत्याशी उतारने की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है।