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रांची: चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी मामले में गुरुवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का सीआरपीसी की धारा 313 के तहत बयान दर्ज किया गया। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत ने लालू प्रसाद से 34 सवाल पूछे। सभी सवाल डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी एवं मुख्यमंत्री काल में हुए भ्रष्टाचार के आरोप से जुड़े थे। व्यक्तिगत रूप से उपस्थित लालू प्रसाद ने सभी सवालों के जवाब अदालत को सहज ढंग से दिए।

बयान दर्ज होने के बाद लालू प्रसाद ने जज के समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना की। लालू प्रसाद ने जज से मौखिक रूप में कहा- हुजूर, हमने आज तक किसी से पैसा नहीं लिया। कायदा कानून इतना सख्त है कि कोई भी मुख्यमंत्री ट्रेजरी ऑफिसर से 10 रुपए नहीं मांग सकता है। हम इतना पैसा कहां से ले लेंगे। लालू प्रसाद ने जज से अनुरोध किया कि आज उनका बयान दर्ज हो रहा है। फैसला करने से पहले वे फाइल जरूर देख लें, कहीं कोई तालमेल नहीं है। गवाह कुछ बोल रहा है और कागजात कुछ और बोल रहे हैं। न्यायाधीश ने लालू प्रसाद को भरोसा दिलाया और कहा कि वे सबकुछ देखने के बाद ही न्याय करेंगे।

 

तबीयत ठीक नहीं, थरथरा रहे थे लालू

अदालत के आदेश पर लालू प्रसाद को बयान दर्ज कराने के लिए रिम्स से रांची सिविल कोर्ट परिसर सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर लाया गया था। बयान दर्ज करने की प्रक्रिया दिन के 11 बजकर 20 मिनट से शुरू हुई, जो 12 बजकर 45 मिनट तक चली। बयान दर्ज कराने के दौरान लालू प्रसाद थरथरा रहे थे। हालांकि ठंड को देखते हुए लालू प्रसाद ने टोपी पहन रखी थी और शॉल ओढ़ रखा था। अधिवक्ता प्रभात कुमार उनकी सहायता कर रहे थे। जहां परेशानी होती थी वहां लालू अपने स्थान पर खड़े होकर जवाब दे रहे थे। खड़े होने के दौरान वे थरथराते थे। अदालत में लालू प्रसाद के बगल में डॉ उमेश प्रसाद बैठे हुए थे। लालू प्रसाद के साथ कार्डियक एंबुलेंस भी आया था।

अब आगे क्या?

सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि चारा कांड संख्या आरसी 47ए/96 मामले में लालू प्रसाद समेत 110 आरोपियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। न्यायिक प्रक्रिया के तहत अगला स्टेज बचाव पक्ष को दिया जाएगा। अगर आरोपी अपने बचाव में गवाह उतारना चाहते हैं तो अदालत को गवाहों की सूची देनी होगी। अदालत ने इसके लिए 20 जनवरी की तारीख निर्धारित की है। मामले के आरोपी शिवनंदन प्रसाद के बीमार रहने के कारण उसकी फाइल को अलग कर दी गई है। इस मामले में सीबीआई की ओर से 575 गवाहों एवं हजारों दस्तावेज को चिन्हित करवाया गया था।

170 आरोपियों पर चार्जशीट

प्रारम्भ में 170 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। पहली चार्जशीट आठ मई 2001 को 102 आरोपियों को एवं सात जून 2003 को पूरक चार्जशीट में 68 आरोपियों के खिलाफ दाखिल की गई थी। सितंबर 2005 में आरोप तय किया गया था। सीबीआई ने 11 मार्च 1996 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले के सात आरोपी सरकारी गवाह बनाए गए जबकि दो आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। पांच आरोपी फरार चल रहे थे।

प्राथमिकी के 24 साल बाद

लालू के बयान दर्ज देर से ही सही लेकिन लालू प्रसाद को चारा कांड संख्या आरसी 47ए/96 मामले में बयान दर्ज कराने रांची की सीबीआइ कोर्ट आना पड़ा। लालू इससे पूर्व चारा घोटाले के चार मामलों में बयान दर्ज करा चुके हैं।

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