नई दिल्ली: बिहार पुलिस ने बुधवार को आदेश दिए कि वे उन 49 प्रख्यात हस्तियों और बुद्धिजीवियों के ऊपर लगाए गए देशद्रोह के मुकदमे को बंद करे, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खत लिखकर मॉब लिंचिंग रोकने के लिए दखल देने की मांग की थी। मुजफ्फरपुर एसएसपी मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि जांच में यह पता चलने के बाद कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप गलत इरादे से है और सबूतों की कमी है, उसके बाद इस केस को बंद करने का आदेश दे दिया गया है।
गौरतलब है कि यह केस स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो महीने पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद दर्ज हुआ था। ओझा ने बताया था कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके बाद मुजफ्फरपुर के सदर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई थी। फिल्मी हस्तियों पर मुकदमा करने का साक्ष्य नहीं मिलने पर एसएसपी मनोज कुमार ने शिकायतकर्ता अधिवक्ता सुधीर ओझा पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
एसएसपी के अनुसार शिकायतकर्ता ने पूछताछ में अपने केस के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं दे सके। झूठा मुकदमा दर्ज कराने को लेकर उनपर आईपीसी की धारा 182/211 के तहत केस दर्ज किया जाएगा। आईओ हरेराम पासवान को कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। साथ ही कोर्ट को भी पूरे मामले से अवगत कराने को कहा गया है।
एसएसपी मनोज कुमार बताया कि मंगलवार को इस मामले में शिकायतकर्ता सुधीर कुमार ओझा से पूछताछ की गई। उनके बयान को दर्ज किया गया। उनसे केस संबंधित साक्ष्य और सबूत मांगे गए। वह केस के समर्थन में किसी प्रकार का ठोस सबूत पेश नहीं कर सके। आवेदन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिख हुआ पत्र संलग्न नहीं था। इसके साथ ही एफआईआर के तथ्यों की विवेचना के दौरान यह पाया गया कि एफआईआर के आवेदन में राजद्रोह जैसे मामले को साबित करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं था।
एसएसपी ने बताया कि इसके अलावा आवेदन में छह गवाहों के नाम दर्ज है। इनमें से तीन महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। शिकायतकर्ता के पास इनके नाम के अलावा कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं थी। इसके अलावा भी कई अन्य बिंदुओं पर भी छानबीन की गई। वहीं, अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने बताया कि वे एसएसपी के आदेश के खिलाफ कोर्ट में विरोध पत्र दाखिल करेंगे।