पटना: राजद नेता तेजस्वी यादव को लेकर बिहार में चर्चा और कयासों का दौर जारी है। इस बीच खबर है कि शुक्रवार को पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम से नदारद रहने के बाद शनिवार को तेजस्वी यादव पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहुंचे और भाषण भी दिया। अब पार्टी ने तेजस्वी के नेतृत्व में ही आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। तेजस्वी ने मीडिया के सवालों का जवाब भी दिया।
उन्होंने केंद्रीय बजट में बिहार की उपेक्षा ख़ासकर विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने की चर्चा की और कहा कि आने वाले दिनों में राष्ट्रीय जनता दल बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई लड़ेगी। इसके अलावा चमकी बुखार पर भी उन्होंने मुख्यमंत्री के जवाब को प्रवचन क़रार देते हुए कहा कि, 'मैंने उन्हें सुना और लग रहा था कि वो मजबूर हैं।' हालांकि तेजस्वी ने उन सवालों का जवाब नहीं दिया कि आखिर वे चमकी से प्रभावित लोगों से मिलने मुज़फ्फरपुर आख़िर क्यों नहीं गये या जब बिहार विधान सभा में इस मुद्दे पर चर्चा चल रही थी तब वो पटना में रहने के बावजूद विधानसभा से ग़ायब क्यों थे।
शनिवार की बैठक में वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बिना नाम लिए तेज़ प्रताप यादव के लोकसभा चुनाव के दौरान अपना उम्मीदवार खड़ा करने के मुद्दे को उठाया और कहा कि एक ओर पार्टी कुछ लोगों के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई करती है, तो वहीं कुछ लोगों के प्रति नरमी बरती गयी। शिवानंद तिवारी ने लोकसभा चुनाव में एनडीए की बढ़त के बाद पार्टी विधायकों में चिंता के मुद्दे को भी उठाया।
वहीं, तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में कहा कि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर होता है। इसलिए किसी को विधानसभा चुनाव को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन पार्टी के अधिकांश विधायकों ने इस बैठक के बाद भी कहा कि लालू यादव के परिवार का आपसी कलह अब सार्वजनिक हो चुका है, जिसका असर पार्टी के कामकाज पर भी दिख रहा है। जिस प्रकार तेजस्वी यादव एक दिन ग़ायब रहते हैं और दूसरे दिन फिर चेहरा दिखाते है, उस स्थिति में पार्टी के प्रति उनकी गंभीरता पर सवाल उठना लाज़मी है।