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धार: पढ़ाई की अहमियत को समझते हुए मध्य प्रदेश के धार जिले के एक गांव का 38 वर्षीय गरीब एवं अनपढ़ व्यक्ति अपने बेटे को 10वीं बोर्ड की पूरक परीक्षा दिलाने के लिए 105 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र में साइकिल में बैठाकर ले गया। शोभाराम नाम के इस व्यक्ति ने अपने बेटे की परीक्षा तिथि से एक दिन पहले सोमवार को करीब तीन-चार दिन के खाने-पीने के सामग्री के साथ सफर शुरू किया और रात में बीच में एक जगह पर कुछ समय के लिए विश्राम किया। सही वक्त पर मंगलवार सुबह धार शहर में स्थित भोज कन्या विद्यालय में बने परीक्षा केन्द्र पर अपने बेटे को परीक्षा देने के लिए पहुंचा दिया।

मालूम हो कि कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछले कई महीनों से बस सेवा बंद हैं। इस व्यक्ति के पास अपने बच्चे को परीक्षा केन्द्र ले जाने के लिए साइकिल के अलावा कोई अन्य साधन नहीं था और पैसे की तंगी के कारण न ही वह टैक्सी या अन्य कोई साधन अपने बेटे को मुहैया करवा सकता था।

 

माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 2020 परीक्षा में अनुत्तीर्ण विद्यार्थी के लिए 'रूक जाना नहीं योजना' लागू की गई है। इस योजना में अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को पुन: परीक्षा देने का अवसर दिया गया है और और पूरक परीक्षा का केन्द्र पूरे जिले में केवल धार ही बनाया गया है।

धार जिले के ग्राम बयडीपुरा के रहने वाले शोभाराम ने बताया, 'मेरे बेटे आशीष की 10 वीं की पूरक परीक्षा का केन्द्र धार में था।' उन्होंने कहा, 'मैं अपने बेटे को पूरक परीक्षा दिलाने के लिए साइकिल से बयडीपुरा से धार करीब 105 किलोमीटर दूर लाया। कोरोना वायरस महामारी के कारण बस बंद है, इसकी वजह से दिक्कत आई है। पैसे नहीं है तो क्या करे। कोई साधन नहीं है। हमारे पास साइकिल है तो साइकिल से लाए। कोई मदद नहीं करता है।'

शोभाराम ने बताया, 'मेरे बेटे का एक साल बर्बाद न हो जाए, इसलिए उसे साइकिल से परीक्षा दिलाने लाया। उसकी जिंदगी बनाने के लिए लाया ताकि थोडा पढ़-लिख जाए।' उन्होंने कहा कि सोमवार को अपने गांव से सफर शुरू किया और रात्रि में कुछ घंटे हमने मनावर में विश्राम किया। अगले दिन सुबह धार पहुंच गए, जहां आशीष ने भोज कन्या विद्यालय में परीक्षा दी।

 

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