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इंदौर: पुलिसकर्मियों की कम तनख्वाह को लेकर युवा कॉन्स्टेबल का मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शिकायती लहजे में लिखा पत्र इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस कॉन्स्टेबल ने पुलिसकर्मियों के बेहद मुश्किल हालात में नौकरी करने का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से गुहार की है कि पुलिस वालों की पगार बढ़ाकर इतनी कर दी जाए, जिससे वे कम से कम अपना परिवार पाल सकें। राज्य के बुरहानपुर जिले में तैनात सूरजसिंह चूंडावत (28) ने मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र को 21 अप्रैल को फेसबुक पर पोस्ट किया था। हिन्दी में लिखे गए इस पत्र को फेसबुक पर अब तक 900 से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है और इसे 250 से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं। सोशल मैसेजिंग सेवा वाट्सऐप पर भी इस पत्र को आगे बढ़ाया जा रहा है। चूंडावत ने पत्र के पहले पैराग्राफ में हालांकि चौहान की तारीफ करते हुए लिखा है कि उन्होंने प्रदेश को समृद्ध और उन्नत बनाने के लिए काफी कुछ किया है। लेकिन अगले ही पैराग्राफ में वह मुख्यमंत्री पर सवाल भी दागा है। वे लिखते हैं, 'पर क्या पुलिस वाला होना कोई गुनाह है, जो हम सबसे कम सैलरी में सबसे ज्यादा काम करते हैं। हम घर-परिवार से दूर रहते हैं। आधे वक्त खाना नहीं खा पाते हैं।

इतना सब होने के बावजूद बात जब पुलिस की सैलरी बढ़ाने की आती है, तो हमारे मध्यप्रदेश शासन के पास पर्याप्त बजट नहीं होता, जबकि दूसरे कामों के लिए पर्याप्त बजट होता है।' युवा कॉन्सटेबल ने लिखा, 'आज जो सैलरी पुलिसकर्मी को मिलती है, उसमें दो आदमियों का गुजारा भी नहीं हो पाता। माननीय मुख्यमंत्री महोदय से निवेदन है कि पुलिसकर्मियों की सैलरी बढ़ाकर कम से कम इतनी तो कीजिए कि वे अपना परिवार पाल सकें।' इस पत्र के बारे में चुंडावत से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। बहरहाल, पुलिस महकमे ने इस कॉन्स्टेबल के पत्र का संज्ञान ले लिया है और वह उसे नोटिस जारी करने की तैयारी कर रहा है। बुरहानपुर के पुलिस अधीक्षक अनिल सिंह कुशवाह ने कहा, 'चूंडावत का सोशल मीडिया पर इस तरह का पत्र पोस्ट करना मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। हम इस कॉन्स्टेबल को नोटिस जारी कर उससे जवाब तलब करने जा रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'चूंडावत को अपनी बात कहने का पूरा हक है। लेकिन उसे पुलिस बल के एक अनुशासित कॉन्सटेबल की तरह अपनी बात उचित तरीके से उचित मंच पर कहनी चाहिए थी।'

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