नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के बहुचर्चित 'हनी ट्रैप (मोहपाश) मामले की पांचों महिला आरोपियों को मंगलवार को एक स्थानीय अदालत ने 14 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद आरती दयाल, मोनिका यादव, श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन और बरखा सोनी को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) मनीष भट्ट के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने पांचों आरोपियों को 14 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
इस बीच, मामले के आरोपियों में शामिल श्वेता विजय जैन के वकील धर्मेन्द्र गुर्जर ने संवाददाताओं से पुलिस पर आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान उन्होंने उनकी मुवक्किल के साथ मारपीट की और उसे इस कदर मानसिक रूप से परेशान किया कि उसने शौचालय में कांच से अपनी कलाई काट ली। गुर्जर ने दावा किया, "तथाकथित 'हनी ट्रैप मामले में पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। दरअसल, यह मामला पुलिस के गले की हड्डी बन चुका है।"
इस बीच, जिला अभियोजन अधिकारी मोहम्मद अकरम शेख ने बचाव पक्ष के वकील के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस हिरासत में किसी भी आरोपी को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि एक स्थानीय अस्पताल में पांचों महिला आरोपियों की चिकित्सकीय जांच के बाद ही उन्हें अदालत में पेश किया गया था।
गौरतलब है कि इंदौर नगर निगम के एक आला अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने 19 सितंबर को 'हनी ट्रैप गिरोह का औपचारिक खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं और उनके चालक को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। जांचकर्ताओं को संदेह है कि इस गिरोह ने महिलाओं का इस्तेमाल कर राजनेताओं और नौकरशाहों समेत कई रसूखदारों को जाल में फंसाया और इन लोगों से धन उगाही के अलावा अपनी अलग-अलग अनुचित मांगें जबरन पूरी कराई। गिरोह खुफिया कैमरों से अंतरंग पलों के वीडियो बनाकर अपने "शिकार" को इस आपत्तिजनक सामग्री के बूते ब्लैकमेल करता था।