उज्जैन: मध्य प्रदेश की धार्मिक और पौराणिक महत्व की नगरी उज्जैन में शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में लाखों नागा साधु-संतों के शाही स्नान की शुरूआत के साथ ही प्रत्येक बारह वर्षों के अंतराल में आयोजित होने वानी सिंहस्थ कुंभ प्रारंभ हो गया। क्षिप्रा नदी के तट पर महाकाल की नगरी उज्जैन में सुबह पांच बजे से दत्त अखाडा क्षेत्र में शैव संप्रदाय के नागा साधुओं के एकत्रित होने का क्रम शुरू हो गया। सबसे पहले नागा साधुओं ने क्षिप्रा नदी में डुबकियां लगायीं। इसके बाद जूना अखाड़ा के पीठाधीश स्वामी अवधेशानंद महाराज ने परंपरा के अनुरूप मंत्रोच्चारण के साथ डुबकी लगायी। सख्त सुरक्षा प्रबंधों के बीच क्षिप्रा नदी के घाटों पर लाखों साधु संतों ने ढोल बाजों के साथ अत्यंत ही उत्साह भरे माहौल में डुबकियां लगायीं। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री एवं सिंहस्थ के प्रभारी भूपेंद्र सिंह और वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। महामंडेलश्वर स्वामी अवधेशानंद के स्नान के बाद विभिन्न अखाडों के साधु संतों के स्नान का क्रम दोपहर तक चलेगा। इसके साथ ही नौ किलोमीटर क्षेत्र में फैले विभिन्न घाटों पर देश विदेश से आए लाखों लोग भी डुबकियां लगाएंगे। इस तरह का आयोजन उज्जैन में प्रत्येक बारह वर्ष में आयोजित किया जाता है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सिंहस्थ कुंभ का आयोजन 21 मई तक यानी एक माह तक चलेगा। इस दौरान दूसरा शाही स्नान नौ मई (अक्षय तृतीया) और तीसरा व अंतिम शाही स्नान 21 मई को प्रस्तावित है।
एक माह की अवधि में पांच करोड़ लोगों के आने की संभावना के मद्देनजर राज्य सरकार ने तैयारियां की हैं। विभिन्न सुविधाओं को विकसित करने के लिए लगभग साढे तीन हजार करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अगुवायी में शैव और वैष्णव संप्रदाय के तेरह अखाडों के लाखों साधु संत शाही स्नान में शिरकत करेंगे। सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने प्रत्येक व्यवस्थाएं की हैं। करोड़ों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना के मद्देनजर उज्जैन के आसपास अनेक उपनगर भी बसाए गए हैं।