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भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय भर्ती घोटाले के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह शनिवार को भोपाल जिला अदालत में पेश हुए। हालांकि बाद में उन्हें जमानत दे दी गई। इस मामले में शुक्रवार को पुलिस ने पूरक चार्जशीट पेश की थी। इस दौरान सात आरोपी कोर्ट में हाजिर हुए, जबकि गैरहाजिर रहे। इस पर कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। यह मामला 1993 एवं 2003 का है। उस समय दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। पूर्व मुख्यमंत्री विशेष जिला एवं सत्र न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत में अपने समर्थकों व वकील के साथ पेश हुए। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भी मौजूद थे। इससे पहले शुक्रवार को अदालत में पूरक चार्जशीट पेश किए जाते समय केके कौशल एवं ए़के प्यासी सहित सात आरोपी मौजूद थे, जिन्हें तीस-तीस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई थी।

कौशल एवं प्यासी मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अधिकारी हैं। पिछले साल पुलिस ने दिग्विजय सिंह से पांच घंटे तक पूछताछ की थी। पूछताछ में उन्होंने कहा था कि विधानसभा सचिवालय में सभी नियुक्तियां मंत्रिमंडल की मंजूरी और तय नियमों के तहत ही की गई थीं। इस मामले में सभी आरोपियों पर जालसाजी, ठगी, साजिश एवं पद के दुरुपयोग के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए गए थे।

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