भोपाल: भोपाल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग हुई। इसमें एक बार में तीन तलाक़ को ग़ैरक़ानूनी करार दिए जाने और बाबरी केस को लेकर बात हुई। बैठक के बाद पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ़ किया कि तीन तलाक़ के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करता है, लेकिन सरकार पर्सनल लॉ के मामले में दखलंदाज़ी बंद करे। वहीं बाबरी केस पर लॉ बोर्ड के सदस्यों का कहना है कि इस मामले में एक खास तरह की ज़ल्दबाज़ी दिखाने की कोशिश हो रही है, इस मामले में आराम से सुनवाई होनी चाहिए ताकि देर भले हो जाए नाइंसाफ़ी न हो। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक नौ घंटे से ज्यादा समय तक चली। वहीं सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले पर विमर्श और बड़े स्तर पर सामाजिक सुधार लाने के सुझाव देने के लिए 10 सदस्यीय समिति बनाने का निर्णय लिया गया। राजधानी के खानू गांव स्थित इंदिरा प्रियदर्शनी महाविद्यालय के सभागार में दोपहर 12 बजे शुरू हुई बैठक रात 9 बजे तक चली। बैठक के बाद बोर्ड की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि वह सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करते हैं. समाज में जागृति लाने के लिए बोर्ड द्वारा अभियान चलाया जाएगा।
इतना ही नहीं दो दशक पहले ही बोर्ड द्वारा निकाहनामा का मॉडल फार्म बनाया जा चुका है। बोर्ड के सदस्यों का कहना है कि वे केंद्र सरकार द्वारा विवाह को कानून के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विरोध नहीं है। एक बार में तीन तलाक को मुस्लिम पर्सनल लॉ में भी गलत माना गया है। सरकार की ओर से न्यायालय में जो दलील दी गई है, इसमें कहा गया है कि विवाह को कानून के दायरे में लाया जाए। वह मुस्लिम पर्सनल लॉ और संविधान के खिलाफ है, यह सीधे तौर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला है, लिहाजा मुस्लिम समाज इस तरह के किसी भी दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा।