मुंबई: औरंगाबाद आर्म्स केस में मंगलवार को सजा सुना दी गई। मुम्बई हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ता अबु जुंदाल समेत 7 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह निर्णय मुंबई की मकोका कोर्ट ने अपने फैसले में किया किया है। जानकारी के अनुसार, मकोका कोर्ट ने इस मामले में 12 में से 7 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी है। वहीं, दो दोषियों को 14 साल और तीन दोषियों को 8 साल की सजा दी गई है। मुंबई पर हुए आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता और लश्कर-ए-तोएबा के आतंकी सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल सहित सात लोगों को यहां की विशेष मकोका अदालत ने 2006 के औरंगाबाद हथियार बरामदगी मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। अबु जंदाल के अलावा अन्य छह अभियुक्तों मोहम्मद आमिर शेख, बिलाल अहमद, सैयद आकिफ, अफरोज खान, मोहम्मद असलम कश्मीरी और फैजल उताउर रहमान (जिसे 11 जुलाई 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में मौत की सजा सुनाई गई है) को न्यायाधीश श्रीकांत अनेकर ने उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि सभी सातों अभियुक्त अपना पूरा जीवन जेल में गुजारेंगे। दो अन्य दोषियों मोहम्मद मुजफ्फर तनवीर और डा. मोहम्मद शरीफ को 14 साल की कैद की सजा दी गई, जबकि तीन अन्य दोषियों मुश्ताक अहमद, जावेद अहमद और अफजल खान को आठ साल की सजा सुनाई गई।
एटीएस की ओर से औरंगाबाद के नजदीक से भारी मात्रा में हथियार बरामद किए जाने के दस वर्ष बाद विशेष अदालत ने 28 जुलाई को 12 व्यक्तियों को दोषी ठहराया और आठ अन्य को दोषमुक्त कर दिया। मामले के 22 आरोपियों में से आठ को अदालत ने पिछले सप्ताह दोषमुक्त कर दिया था, जबकि दो अन्य के खिलाफ अलग से मुकदमा चलेगा क्योंकि उनमें से एक सरकारी गवाह बनने के बाद मुकर गया, जबकि दूसरा आरोपी फरार है। 8 मई 2006 को महाराष्ट्र एटीएस टीम ने एक टाटा सुमो और एक इंडिका कार का चांदवाड़ मनमाड राजमार्ग पर औरंगाबाद के निकट पीछा किया और तीन संदिग्धों को गिरफ्तार कर 30 किलो आरडीएक्स, 10 एके 47 राइफलें और 3200 गोलियां बरामद कीं। जुंदाल जो कथित रूप से इंडिका चला रहा था, पुलिस की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहा। गौर हो कि एटीएस की ओर से औरंगाबाद के पास हथियारों का बड़ा जखीर बरामद किये जाने के 10 वर्षों बाद एक विशेष अदालत ने बीते दिनों मुम्बई हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ता अबु जुंदाल और 11 अन्य को दोषी करार दिया था लेकिन उनके खिलाफ कड़ा मकोका आरोप हटा दिया। मामले के 22 आरोपियों में से अदालत ने आठ को बरी कर दिया था जबकि दो आरोपियों के खिलाफ सुनवाई अलग कर दी थी क्योंकि एक आरोपी सरकारी गवाह बनने के बाद बयान से पलट गया था जबकि अन्य आरोपी फरार है।