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नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने के लिए नवलखा को तलोजा जेल से निकालकर नवी मुंबई में हाउस अरेस्ट के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा पर शर्ते भी लगाईं हैं और कहा है कि हाउस अरेस्ट के दौरान किसी तरह का कोई संचार उपकरण यानी कोई लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर आदि उपयोग नहीं होगा। इस दौरान वो किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। ना ही मीडिया से बात करेंगे, साथ ही मामले से जुड़े लोगों और गवाहों से भी बात नहीं करेंगे।

कोर्ट ने नवलखा की पार्टनर सहबा हुसैन को साथ रहने की इजाजत दी है। नवलखा पुलिस अधिकारियों की ओर से उपलब्ध कराए गए मोबाइल फोन से रोज पांच मिनट तक घर वालों से बात कर सकेंगे। पुलिस अधिकारी निगरानी और फोन कॉल का रिकॉर्ड रख सकेंगे। जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने आदेश दिया कि खर्चे का ड्राफ्ट पुलिस कमिश्नर के दफ्तर में जमा करना होगा। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था कि वो नवलखा को हाउस अरेस्ट में रखने के पक्ष में है।

सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को गुरुवार को यह बताने के लिए कहा है कि अगर उन्हें जेल से बाहर घर में नजरबंद रखने की अनुमति दी जाती है तो एजेंसी नवलखा पर किस तरह के प्रतिबंध चाहती है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को तुरंत मुंबई के जसलोक अस्पताल में भर्ती कराने के आदेश दिए थे। जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस ह्रषिकेश रॉय की बेंच ने कहा था कि हम इस विचार से हैं कि नवलखा एक विचाराधीन कैदी हैं। उनको भी स्वास्थ्य का अधिकार है। इसलिए तलोजा जेल के सुपरीटेंडेंट को आदेश देते हैं कि वो नवलखा को उनकी पसंद के जसलोक अस्पताल ले जाएं। हम अभी इस मामले में हाउस अरेस्ट के बड़े मुद्दे पर विचार नहीं कर रहे हैं।
   
एनआईए की ओर से एसजी तुषार मेहता ने हाउस अरेस्ट का विरोध किया था और कहा था कि वो मामले के इलेक्ट्रॉनिक्स सबूतों को मिटाना चाहते हैं। उनको हाउस अरेस्ट की इजाजत ना मिले। वहीं नवलखा की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा था कि अगर नवलखा मुंबई में अपनी बहन के घर रहते हैं तो इसमें देश की सुरक्षा को क्या खतरा है। उनको बीमारी है और कोलोनोस्कॉपी के लिए तीन दिन के उपवास की जरूरत है।

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