मुंबई: आईपीएस अधिकारी और मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। महाराष्ट्र ने सरकार ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को यह जानकारी दी। महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट से कहा कि परमबीर सिंह का पता नहीं चल रहा है, इसलिए वह अपने आश्वासन पर कायम नहीं रहना चाहती कि एससी-एसटी संबंधी एक मामले में उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई (जैसे गिरफ्तारी) नहीं की जाएगी क्योंकि अन्य मामलों में डेवलपमेंट हुआ है।
बता दें कि परमबीर सिंह के खिलाफ एक पुलिस ऑफिसर की ओर से एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया गया है। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा ने जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस सारंग कोतवाल की खंडपीठ से कहा कि अब परिस्थितियां बदल गई हैं।
खंबाटा ने कहा, 'उनका पता नहीं चल पा रहा है। इन परिस्थितियों में, हम अपने पहले के बयान पर कायम नहीं रहना चाहते हैं, जब सरकार ने कहा था कि वह उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी।'
वहीं, परमबीर सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि उन्हें अभी तक भगोड़ा नहीं घोषित किया गया है। जेठमलानी ने कहा कि इस मामले में उन्हें दो बार समन जारी किया गया और दोनों बार उन्होंने जवाब दिया।
परमबीर ने की है एफआईआर दर्ज करने की मांग?
दरअसल, हाई कोर्ट परमबीर सिंह की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे की एक शिकायत पर उनके खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून तथा भादंसं की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। अदालत ने सुनवाई को अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
क्या है आरोप?
घाडगे ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने 2015 में एक प्राथमिकी से कुछ लोगों के नाम हटाने के परमबीर सिंह के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया, तो सिंह ने उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और बात न मानने के लिए उनके खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी भी की थी।