मुंबई: जलवायु परिवर्तन के असर से बढ़ रही वज्रपात की घटनाओं को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार सजग हो गई है। बुधवार को राज्य सरकार ने स्टेट क्लाइमेट चेंज काउंसिल गठित कर दिया है। मुख्यमंत्री इस काउंसिल के अध्यक्ष बनाए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने जलवायु परिवर्तन पर एक रिपोर्ट पेश की है।
बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग ने यह रिपोर्ट पेश कर जलवायु परिवर्तन से महाराष्ट्र पर होने वाले असर होने की जानकारी दी। इसके बाद स्टेट क्लाइमेट चेंज काउंसिल के गठन का निर्णय लिया गया।
बीते सप्ताह बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने जलवायु परिवर्तन से मुंबई पर सबसे गंभीर प्रभाव और इससे होने वाले खतरे को लेकर आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो साल 2050 तक दक्षिण मुंबई का 70 फीसदी हिस्सा पानी-पानी हो जाएगा।
पिछले 15 महीने में मुंबई में आए तीन बार साइक्लोन का जिक्र करते हुए चहल ने कहा था कि साल 1891 के बाद 3 जून 2020 को पहली बार मुंबई में निसर्ग तूफान आया था जिससे काफी नुकसान हुआ था। उसके बाद मुंबई दो और साइक्लोन का सामना कर चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन का मुंबई पर कितना बुरा असर पड़ रहा है।
5 आर के अनुसार होगी कार्रवाई
रिपोर्ट में उल्लेखित परिणामों की गंभीरता को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की तरफ से घोषित 5 आर (रिडूज्स, रिफ्यूज, रियूज, रिसाइकिल, रिकवर) के अनुसार राज्य में कार्रवाई की जाएगी। महाराष्ट्र एक उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र है।
मौसम में 2 से 2.5 अंश डिग्री तापमान बढ़ने से राज्य के तटीय इलाके पानी में डूब सकते हैं तथा मध्य महाराष्ट्र में भीषण सूखा और जंगलों को नुकसान पहुंच सकता है। आईपीसीसी की रिपोर्ट में भारत के 12 तटीय शहरों के पानी में डूबने की आशंका प्रकट की गई है। इसके अलावा शहरी प्रभावित द्वीप प्रभाव, भूस्खलन के भी परिणाम हो सकते हैं।
पृथ्वी का तापमान 1.1 अंश बढ़ा
पिछले कुछ वर्षों से आईपीसीसी संस्था जलवायु में होने वाले परिवर्तन को लेकर रिपोर्ट पेश करती है। अभी तक 6 रिपोर्ट पेश हो चुकी हैं। इस रिपोर्ट को बनाने में विश्वभर के वैज्ञानिक अपना योगदान देते हैं।
अभी हॉल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि पृथ्वी का तापमान औद्योगिक काल की अपेक्षा 1.1 डिग्री बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप बार-बार उठने वाले चक्रीय तूफान, बढ़ते भूस्खलन, भारी बारिश होना, हीट वेब की घटनाएं बढ़ी हैं।