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मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिमी महाराष्ट्र में हर साल होने वाली बैलगाड़ी की दौड़ पर 2014 में रोक लगा दी थी। कोर्ट की रोक के बावजूद आज शुक्रवार की सुबह भाजपा विधायक की देखरेख में सैकड़ों लोग एक जगह पर इकट्ठा हुए और इस दौड़ का आयोजन किया गया।

भाजपा विधायक ने किया समर्थन

भाजपा नेता का कहना है कि वो अपनी संस्कृति बचा रहे हैं। महाराष्ट्र के सांगली ज़िले के वसंत क्षेत्र में बैलगाड़ी दौड़ के लिए इकट्ठा हुए लोगों ने कोरोना के क़ायदे भी तोड़े, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के 2014 के आदेश की भी अवहेलना की गई। भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने 20 अगस्त को ही इस दौड़ की घोषणा की थी। मुख्य आयोजन स्थल से कुछ दूर सुबह-सुबह इस दौड़ का आयोजन किया गया। गौर करने वाली बात है कि मौके पर पुलिस देरी से पहुंची। भाजपा विधायक संस्कृति का हवाला देते हुए पाबंदी हटाने की मांग कर रहे हैं।

भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने कहा कि हमारी मांग है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर हमारी तरफ से आवाज़ उठाए और जल्द से जल्द कोई निर्णय ले। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम लाखों बैलगाड़ियों को लेकर महात्मा ज्योतिबा फुले के गांव से मुंबई आकर प्रदर्शन करेंगे।

पुलिस की ओर से पहले ही चेतावनी दी गई थी कि इस तरह का कोई आयोजन नहीं किया जाए। इलाके में धारा 144 भी लागू थी, इसके बावजूद दौड़ हुई। अब प्रशासन कार्रवाई की बात कर रहा है। जिलाधिकारी डॉ. अभिजीत चौधरी ने कहा कि मेरी पुलिस अधीक्षक से बात हुई है। इस मामले की जांच की जा रही है और इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ पुलिस प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जाएगी।

पिछले कुछ दिनों से भाजपा कोरोना के चलते लगाई गई पाबंदियों का विरोध कर रही है। राज्य में राजनैतिक रैलियों पर पाबंदी होने के बावजूद नारायण राणे रैली करते नज़र आए हैं, तो वहीं राम कदम मंदिर नहीं खोले जाने का विरोध करते नजर आए. ज़ाहिर है कि भाजपा अब इन पाबंदियों को चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है।

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