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नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रचार सामग्री पर सोशल मीडिया की धमक हावी है। इसका असर जनसंपर्क पर भी पड़ा है। घर-घर जाकर उम्मीदवार के बारे में और चुनावी मुद्दों के बारे में प्रचार-प्रसार सामग्री पहुंचाने के बजाए मोबाइल का उपयोग ज्यादा हो रहा है। इसमें सोशल मीडिया खासकर फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। इसके चलते पोस्टर, बैनर, कटआउट की संख्या भी घटी है। भाजपा मुख्यालय में पार्टी के प्रचार प्रसार सामग्री के काउंटर पर इस बार ज्यादा भीड़ नहीं है।

चुनाव खर्च पर लगी लगाम के चलते यह पहले ही सीमिति हो गया था। सोशल मीडिया से प्रचार सस्ता होने के साथ ज्यादा प्रभावी भी होता है और उसे दूसरे लोगों तक पहुंचाने के लिए पार्टी को ज्यादा मेहनत भी नहीं करने पड़ती है। ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों में अभी भी लाउडस्पीकर से प्रचार देखा जा सकता है, लेकिन बड़े शहरों में यह सीमित रह गया है। दोनों राज्यों की अलग-अलग तासीर महाराष्ट्र व हरियाणा में एक जैसा प्रचार नहीं दिख रहा है। हरियाणा में अभी भी परंपरागत प्रचार साधन व व्यक्तिगत जन संपर्क महाराष्ट्र की तुलना में ज्यादा है।

महाराष्ट्र में लोग नए तौर तरीकों को अपना रहे हैं। हरियाणा में सामाजिक समीकरण महाराष्ट्र की तुलना में ज्यादा प्रभावी हैं। वहां पर उम्मीदवार का खुद का आना उसके मुद्दों से ज्यादा अहम है।

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