मुंबई: शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने के लिए कानून बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए राम मंदिर का मुद्दा राजनीति से ऊपर है और इसका आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से कोई संबंध नहीं है। उद्धव ने 21 अक्टूबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन के फैसले का बचाव किया जिसमें वह छोटे सहयोगी के रूप में शामिल हुई है।
मुंबई के शिवाजी पार्क में मंगलवार रात को शिवसेना की वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर पर नहीं बोलने की सलाह दी थी क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। उद्धव ने कहा, ‘‘लेकिन यह मामला पिछले 35 साल से लंबित है। अदालतें उस दिन बंद रहती हैं जिस दिन राम ने रावण का वध किया और उस दिन भी जब राम अयोध्या लौटे थे, लेकिन वहां मुद्दा यह है कि क्या राम ने अयोध्या में जन्म लिया था?’’
उन्होंने कहा, ‘‘कहा जा रहा है कि इस महीने अदालत फैसला दे देगी, अगर ऐसा नहीं होता तो हम अपनी मांग पर अडिग हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए विशेष कानून बनाया जाए।’’ पार्टी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘शिवसेना राम मंदिर की मांग राजनीति के लिए नहीं कर रही है। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं और जब हमें धनुष और बाण चुनाव चिह्न मिला था तब राम मंदिर का मामला भी नहीं था।’’
भाजपा से गठबंधन का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी किया गया जो शिवसेना की कई सालों से मांग थी। उन्होंने अपने 35 मिनट के भाषण में कहा, ‘‘अगर भाजपा के साथ नहीं जाते तो क्या मुझे कांग्रेस के पास जाना चाहिए था जिसने अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने और देशद्रोह के कानूनों का विरोध किया।’’
शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘अब, अगला एजेंडा समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के साथ गठबंधन राज्य के हित में किया गया है। हमें कुछ समझौता करना था। मैं उन शिवसैनिकों से माफी मांगता हूं जिनकी सीट गठबंधन के सहयोगियों को गईं।’’