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मुंबई: मुंबई में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने आरे कॉलोनी के हरित क्षेत्र में मेट्रो कार शेड के लिए 2,600 पेड़ों को काटने की मंजूरी दी थी। बता दें कि आरे में पेड़ो की कटाई को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। काफी सारे लोग और विरोधी पार्टियां सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही हैं। शुक्रवार रात भारी सुरक्षा के बीच आरे में पेड़ों की कटाई की गई। इस दौरान स्थानीय लोगों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने विरोध किया और सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। ऐसे में पुलिस को अपना काम करने से रोकने के आरोप में गिरफ्तार 29 आंदोलनकारियों को मुंबई कोर्ट ने जमानत दे दी है। एडीशनल सेशन कोर्ट के जज एचसी शिंदे ने छुट्टी के दिन ये जमानत दी और दोबारा आंदोलन न करने की हिदायत दी।

8 आंदोलनकारियों का पक्ष रख रहीं एडवोकेट सोनाली सेम्यूल ने कहा कि सभी आंदोलनकारियों को 7000 रुपये के जुर्माने के साथ जमानत दे दी गई है। बता दें कि इससे पहले मुंबई उच्च न्यायालय ने बृहंमुंबई महानगरपालिका के वृक्ष प्राधिकरण के पेड़ों को काटने की अनुमति देने के फैसले को चुनौती देने वाले गैर लाभकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं की चार याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

इसके बाद शुक्रवार से पेड़ों की कटाई शुरू हुई। हाई कोर्ट के रोक से इंकार के बाद भी हो रहे विरोध पर एमएमआरसी के प्रबंध निदेशक भिड़े ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आरे मिल्क कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं को अदालत में अपनी हार को सम्मानजनक रूप से स्वीकार करना चाहिए।

दरअसल, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पिछले पांच सालों से पर्यावरण कार्यकर्ताओं और मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एमएमआरसी) के बीच लड़ाई चल रही है। यह लड़ाई 2,185 पेड़ काटने को लेकर है। यह लड़ाई शुक्रवार को उस समय सड़क पर आ गई जब कई प्रदर्शनकारी पेड़ काटने के विरोध में पेड़ों से चिपक गए। यह टकराव शनिवार को भारी मात्रा में पुलिस की तैनाती के साथ लगभग खत्म हो गया है। पुलिस ने बिना जमानत के 29 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। क्षेत्र में धारा 144 निषेधाज्ञा लागू है और कई स्थानों पर कटे हुए पेड़ गिरे हैं।

विकास और संरक्षण की इस लड़ाई में यह कहना मुश्किल है कि कौन जीता और कौन हारा लेकिन कोलाबा और सीपजेड के बीच बनने वाले वर्ली-बांद्रा सीलिंक पर काम बेरोकटोक जारी है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने जैसे ही बीएमसी पेड़ अधिकरण के आदेश को पलटते हुए एमएमआरसी को आरे में स्थित पेड़ काटने की अनुमति दी, उसने तुरंत अपना काम शुरू कर दिया।

शनिवार को उच्च न्यायालय ने कार्यकर्ता जोरू भटेना और एनजीओ वनशक्ति की उस याचिका को तुरंत स्वीकार करने से मना कर दिया जिसमें पेड़ों को काटने पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

अदालत ने कहा कि ऐसा करने से वह अपने पूर्व में दिए फैसले का उल्लंघन करेगा। आरे कंजर्वेटिव ग्रुप की अमृता भट्टाचर्जी ने कहा कि शनिवार को 1,500 से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। एमएमआरसी की प्रबंध निदेशक अश्विनी भिडे ने कहा, 'योजनाबद्ध कार्य पूरा होने के करीब है लेकिन मेरे पास पेड़ों की कटाई का सटीक विवरण नहीं है।' प्रदर्शन करने वाले जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था उनमें शिवसेना की उपाध्यक्ष प्रियंका चतुर्वेदी और पूर्व मेयर सुभा राउल भी शामिल हैं।

धारा 144 लागू होने के बाद लगभग 100 लोगों को गिरफ्तार किया गया। धारा 144 के अनुसार चार से ज्यादा लोग एक स्थान पर इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। शनिवार सुबह क्षेत्र में 500 पुलिसवालों की तैनाती की गई। सबसे पहले स्थानीय आदिवासियों ने पेड़ों की कटाई होते हुए देखी और शुक्रवार शाम तक अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी। कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने इसकी वीडियो रिकॉर्ड करके साझा कीं। जल्द ही आरे को बचाने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों से नागरिकों ने आना शुरू कर दिया। जिसके बाद प्रदर्शन ने उग्र रूप धारण कर लिया।

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