ताज़ा खबरें
संसद में अडानी और संभल पर हंगामा,दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित
किसान आंदोलन: एसकेएम नेता डल्लेवाल को पुलिस ने हिरासत मे लिया
कन्नौज में एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना, सैफई में तैनात पांच डॉक्टरों की मौत
दिल्ली-यूपी में बढ़ी ठंड, हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी; तमिलनाडु में तूफान

मुंबई: बांबे हाईकोर्ट ने बुधवार को एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वेर्नोन गोंसाल्विस की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए तीखी टिप्पणियां कीं। हाईकोर्ट ने गोंसाल्विस से सवाल किया कि आपके घर में राष्ट्र विरोधी सामग्री वाली सीडी और किताबें क्यों थीं? इन किताबों और सीडी के नाम ही प्रथम दृष्टया इनमें राष्ट्र विरोधी सामग्री होने की झलक देते हैं। बांबे हाईकोर्ट ने खासतौर पर गोंसाल्विस के घर से छापे में बरामद की गई मार्क्सवादी आर्काइव्स, कबीर कला मंच की ‘राज्य दमन विरोधी’ टाइटल वाली सीडी और रूसी लेखक लियो टॉलस्टाय की साहित्यिक कृति ‘वार एंड पीस’ आदि का जिक्र किया।

जस्टिस सारंग कोतवाल की पीठ ने सवालिया अंदाज में कहा, ‘राज्य दमन विरोधी’ सीडी का नाम ही अपने आप में कहता है कि इसमें राष्ट्र के खिलाफ कुछ है, वहीं ‘वार एंड पीस’ दूसरे देश में युद्ध के बारे में है। आपके पास घर पर ये किताबें और सीडी क्यों थीं? आपको अदालत को यह बताना होगा।

बता दें कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित परिषद में दिए गए भड़काऊ भाषणों के चलते भीमा-कोरेगांव क्षेत्र में जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए थे। साथ ही बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।

परिषद के आयोजन से नक्सली संगठनों के तार जुड़े होने की जांच कर रही बहुत सारे लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें गोंसाल्विस भी शामिल थे। गोंसाल्विस को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में शोमा सेन, रौना विल्सन, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और गौतम नवलखा को भी गिरफ्तार किया गया था।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख