मुंबई: महाराष्ट्र भाजपा के विधायक डॉ. विजय कुमार गावित के भ्रष्टाचार में लिप्त होने का खुलासा होने के बावजूद सरकार की चुप्पी राज्य में नए विवाद की जड़ बनी हुई है। विपक्ष के तीखे हमले के बीच एनसीपी से आए और भाजपा के टिकट पर नंदुरबार विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने डॉ. विजय कुमार गावित को बचाते हुए महाराष्ट्र की भाजपा सरकार की सांस फूल रही है। रिटायर्ड हाइकोर्ट जस्टिस एमजी गायकवाड़ की अध्यक्षता में बनी जांच समिति ने विजय कुमार गावित को आदिवासी कल्याण विभाग के भ्रष्टाचार में दोषी पाया है। बिना टेंडर करोड़ों रुपये के काम आवंटित करने का आरोप उन पर सिद्ध हुआ है जब वे आदिवासी कल्याण विभाग के अधीन बोर्ड के पदसिद्ध प्रमुख थे। गावित के कारनामे तब के हैं जब वे पुरानी कांग्रेस-एनसीपी सरकार में उस विभाग के मंत्री थे। वे पाला बदल कर भाजपा में शामिल हुए। आज वे भाजपा के विधायक हैं ही. साथ में उनकी बेटी हिना नंदुरबार लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की सांसद हैं। गौरतलब है कि उनके खिलाफ़ जांच समिति की रिपोर्ट जनवरी 2017 में महाराष्ट्र सरकार को सौंपी गई थी जिसपर अबतक कार्रवाई नहीं हुई है। जांच आयोग की रिपोर्ट को सरकार क्यों सार्वजनिक नहीं कर रही इस सवाल के साथ कांग्रेस के नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। पाटिल ने सरकार से पूछा है कि भाजपाइयों के भ्रष्टाचार को लेकर उसका मापदंड दोहरा तो नहीं?
याचिकाकर्ता गुलाबराव पवार के वकील राजेन्द्र रघुवंशी ने याद दिलाया है कि आदिवासी कल्याण विभाग के भ्रष्टाचार पर विपक्ष में रहते हुए वे तमाम नेता खूब बोला करते थे जो आज सत्ता पक्ष में हैं। रघुवंशी मुंबई में एक न्यूज़ चेंनल से बात कर रहे थे। वैसे एनसीपी में होते हुए भी डॉ. विजय कुमार गावित का दामन संजय गांधी निराधार योजना में हुए भ्रष्टाचार से दाग़दार हुआ था। बावजूद इसके उन्हें ससम्मान भाजपा में प्रवेश दिया गया और अब उनके बचाव में पार्टी को आगे आना पड़ रहा है। महाराष्ट्र के वित्तमंत्री सुधीर मुनघंटीवार ने अपने दफ्तर में कार्रवाई में हुई देरी के सवाल के जवाब में कहा कि रिपोर्ट प्राप्त होने के दूसरे दिन कार्रवाई नहीं हो सकती। कार्रवाई की एक प्रक्रिया होती है और रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद सम्बंधित विभाग उस प्रक्रिया अनुसार काम करता है। ज्ञात हो कि आदिवासी कल्याण विभाग के भ्रष्टाचार की जांच के लिए गायकवाड़ आयोग का गठन जून 2012 में हाईकोर्ट के आदेश पर हुआ था। मीडिया से बात करते हुए डॉ. विजय कुमार गावित ने कहा है कि वे जांच आयोग की रिपोर्ट पूरे तौर पर पढ़ने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया देंगे।