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मुंबई: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सबसे प्रभावशाली शख्सियत के रूप में उभरे हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात का समर्थन नहीं किया कि चुनाव नतीजे नोटबंदी पर जनमत संग्रह है। कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनाव नतीजे राज्य सभा में भाजपा की सीटें बढ़ाएंगी और उच्च सदन में बहुमत होने पर राजग सरकार के लिए शेष अवधि में आर्थिक वद्धि को तेज करने के लिए महत्वपूर्ण सुधार शुरू करना संभव होगा। दोनों सदनों में सरकार के पास बहुमत होने पर यह किसी भी विधेयक को पारित करने में सक्षम होगी क्योंकि राजनीतिक अड़चनें नहीं रहेंगी। चिदंबरम ने यहां इंडियन मर्चेंट चैम्बर में कहा कि चुनाव ने स्पष्ट रूप से यह स्थापित कर दिया है कि भारत में सबसे ज्यादा प्रभावशाली शख्सियत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। और उनके पास एक अखिल भारतीय अपील है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि असली सुधार के लिए बाजार में सरकार का अनावश्यक हस्तक्षेप रोकना, नौकरशाही का पुनर्गठन और एक नैतिक एवं न्यायसंगत समाज बनाना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि शेष 24-27 महीनों में (सरकार के) हम नए सुधारों की पहचान कर सकते हैं और आर्थिक वृद्धि को तेज कर सकते हैं जो हमें फिर से आठ फीसदी की संवृद्धि दर पर ले जाएगा। मुझे लगता है कि बाधाएं हटाये जाने योग्य हैं। उन्होंने दावा किया कि संप्रग शासन ने 1991-96 और 2004-14 के बीच संख्या बल के अभाव के बावजूद सुधारों की पेशकश की थी।

नोटबंदी पर चिदंबरम ने कहा कि इसे उप्र में भाजपा की जीत से जोड़ना एक बहुत सुविधाजनक निष्कर्ष होगा। कई अन्य कारणों ने भी चुनाव के दौरान भूमिका निभाई और यह नोटबंदी के कदम पर जनमत संग्रह नहीं था। चिदंबरम ने इन बातों को भी खारिज कर दिया है सारे जातीय समीकरण टूट गए। मुझे नहीं लगता कि जातीय समीकण हमेशा के लिए मिट गया। वर्ष 1971, 1980 और 1984 में भी ऐसी ही बातें कही गई थी।

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