जयपुर: राजस्थान के कोटा शहर के जेके लोन सरकारी अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर ) ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) बीएस तंवर को नोटिस जारी किया है। आयोग ने इस मामले में कार्रवाई की रिपोर्ट साझा नहीं करने के कारणों की व्याख्या करने के लिए तंवर को तीन जनवरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है। आयोग ने कहा है कि अगर तंवर किसी वैध कारणों के बिना आदेश का पालन नहीं करते हैं तो उन पर कार्रवाई भी की जा सकती है।
राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन सरकारी अस्पताल में एक महीने के अंदर 91 नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। यह सभी शिशु एक साल तक के थे। मामला जब दिल्ली पहुंचा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए। आईएएस अधिकारी वैभव गालरिया के प्रतिनिधित्व में बनी जांच समिति शुक्रवार शाम को कोटा पहुंची। अस्पताल के अधीक्षक एचएल मीणा से कमेटी ने पूछताछ की। पूरा अमला इन मौतों को पहले स्वाभाविक और सामान्य बताकर दबाने में जुटा रहा। हालांकि मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार हरकत में आई।
इन मौतों के पीछे संक्रमण को मुख्य कारण माना जा रहा है। इसके अलावा अस्पताल के उपकरण भी खराब हैं। वहीं, सीएम अशोक गहलोत ने कहा, पिछले छह साल में सबसे कम मौतें हुई हैं। हालांकि एक बच्चे की मौत भी दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन इससे पहले के सालों में 1500 और 1300 बच्चों की मौत हुई हैं। लेकिन इस बार ये आंकड़ा 900 हैं। अस्पतालों में हर रोज कुछ मौतें होती हैं। इसमें कुछ नया नहीं है। कार्रवाई की जा रही है।
भाजपा ने मामले की जांच के लिए गठित की समिति भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान में कोटा जिले के एक अस्पताल में बड़ी संख्या में शिशुओं की मौत के मामले की जांच के लिए चार सांसदों की एक समिति बनाई है। इस पैनल में लोकसभा सदस्य जसकौर मीणा, लॉकेट चटर्जी और भारती पवार तथा राज्यसभा सदस्य कांता कर्दम शामिल हैं। कोटा से सांसद एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शिशुओं की मौत पर रविवार को चिंता व्यक्त की थी और राज्य सरकार से इस मामले में संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करने की अपील की थी।