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बाड़मेर: कार्यकर्ताओं का कहना है कि रविवार को राजस्थान के बाड़मेर के बालटोरा में एक आरटीआई कार्यकर्ता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई है। कार्यकर्ता की मौत के बाद पूरे थाने को लाइन हाजिर कर दिया गया है। बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) शरद चौधरी ने कहा कि आरटीआई कार्यकर्ता जगदीश गोलियां जो 40 के आसपास थे उन्हें शनिवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के तहत सुरक्षात्मक हिरासत में रखा गया था। उनका अपने दो रिश्तेदारों के साथ जमीन विवाद चल रहा था।

एसपी ने कहा, 'रविवार को उन्हें और उनके दो भतीजों को पकड़कर तहसील कार्यालय में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। जहां उनके दोनों भतीजों को तहसील कार्यालय में पेश करने के बाद जमानत मिल गई। वहीं कार्यकर्ता की हालत खराब हो गई और फिर उनकी मौत हो गई।' गोलियां को गोपाल और ओम सहित अन्य लोगों से जान से मारने की धमकी मिल रही थी। शनिवार को गोपाल और ओम सहित अन्य लोग दोपहर के 12.30 बजे खेत पर पहुंचे और उन्होंने कार्यकर्ता की पिटाई कर दी।

गोलियां की मां देवी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि पिटाई के कुछ समय बाद पचपडरा के थाना प्रभारी सरोज चौधरी घटनास्थल पर पहुंचे और जगदीश को पुलिस थाने लेकर चले गए। उन्होंने उन्हें लगी बाहरी और आंतरिक चोटों का इलाज नहीं कराया जिसके कारण मेरे बेटे की मौत हो गई। बालोटरा पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

पुलिस अधीक्षक का कहना है कि गोलियां की मौत कैसे हुई इसकी जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, 'हमने सीआरपीसी की धारा 176 के तहत अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पूछताछ शुरू कर दी है।' इस मामले पर कार्यकर्ता अरुणा रॉय, निखिल डे, कविता श्रीवास्ताव और अन्य ने इसे राज्य और स्थानीय अधिकारियों के सामने उठाया है। उन्होंने एक बयान में कहा, 'मजिस्ट्रेट जो स्थानीय तहसीलदार थे उन्हें पुलिस ने बताया कि वह मिर्गी के दौरे से पीड़ित हैं। उन्होंने उन्हें अस्पताल भेजने का आदेश दिया जहां उनकी मौत हो गई।'

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