नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात से पहले कहा कि क्या प्रधानमंत्री अमेरिका से भारतीय नागरिकों को ‘‘अमानवीय तरीके से’’ वापस भेजे जाने पर भारत की तरफ से सामूहिक नाराजगी व्यक्त करने का साहस जुटा पाएंगे? पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि इस मुलाकात से पहले ही ट्रंप को खुश करने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी दौरे पर हैं। ट्रंप बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री की मेजबानी करेंगे। ट्रंप के पिछले महीने दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली द्विपक्षीय वार्ता होगी।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारत के प्रधानमंत्री, 14 फरवरी को अपने 'अच्छे मित्र', अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहले गले मिलेंगे फिर मुलाकात करेंगे। भारत पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति को खुश करने के लिए कुछ कृषि उत्पादों और डोनाल्ड ट्रंप की पसंदीदा ‘हार्ले-डेविडसन’ मोटरसाइकिलों पर आयात शुल्क कम कर चुका है।
उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से नागरिक परमाणु क्षति के लिए दायित्व अधिनियम, 2010 में संशोधन का आश्वासन भी दिया गया है, जिसकी मांग अमेरिकी कंपनियां लंबे समय से कर रही थीं।’’
उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री के इस दौरे में भारत और अमेरिका के बीच कई समझौते किए जाएंगे और रक्षा खरीद से जुड़े अनुबंधों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘क्या प्रधानमंत्री मोदी में इतना साहस होगा कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने भारतीय नागरिकों को अमानवीय तरीके से कुछ दिन पहले जबरन वापस भेजे जाने पर भारत की तरफ से सामूहिक नाराजगी व्यक्त करने का साहस जुटा पाएंगे?’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘क्या प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति से यह कहेंगे कि भविष्य में भारत निर्वासितों को अमेरिका से वापस लाने के लिए वेनेजुएला और कोलंबिया की तरह अपने खुद के विमान भेजेगा? क्या प्रधानमंत्री मोदी फलस्तीन पर भारत की दीर्घकालिक नीति को दोहराएंगे और ग़ाज़ा को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा पेश किए गए अजीब प्रस्ताव पर भारत की कड़ी आपत्ति दर्ज कराएंगे?’’
रमेश ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताएंगे कि पेरिस जलवायु समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका का हटना न केवल उसकी नेतृत्वकारी भूमिका से पीछे हटना है बल्कि उसकी वैश्विक जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ना है?
कांग्रेस महासिचव ने कहा, ‘‘क्या प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति से स्पष्ट रूप से कहेंगे कि एच1बी वीजा धारकों, जिनमें 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय युवा हैं, पर अमेरिका में हो रहे नस्लभेदी हमले भारत को अस्वीकार्य हैं? एच1बी वीजा से दोनों देशों को लाभ हुआ है, और इसे जारी रखा जाना चाहिए।’’
जयराम रमेश ने कहा, ‘‘निस्संदेह, प्रधानमंत्री मोदी एलन मस्क से भी मिलेंगे। इस संदर्भ में हमारे उनसे दो सवाल हैं कि क्या प्रधानमंत्री मोदी एलन मस्क को स्पष्ट रूप से यह कहेंगे कि यदि टेस्ला भारत को अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बाजार मानती है, तो उसे भारत में अपने उत्पादों की केवल असेंबली ही नहीं, बल्कि यहीं उन्हें निर्माण भी करना होगा?’’
उन्होंने यह सवाल भी किया, ‘‘स्टारलिंक के संदर्भ में क्या प्रधानमंत्री मोदी स्पेक्ट्रम की नीलामी (प्रशासनिक रूप से आवंटन नहीं) की नीति को दोहराएंगे, जिसकी नीति उन्होंने मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनाई थी? क्या वे यह भी स्पष्ट करेंगे कि उपग्रह इंटरनेट प्रदाताओं के संदर्भ में सुरक्षा संबंधी चिंताएं पूरी तरह से गैर-समझौतावादी हैं?’’
‘टेस्ला’ इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली दुनिया की अग्रणी कंपनी है तो ‘स्टारलिंक’ इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी है। इन दोनों कंपनियों का स्वामित्व मस्क के पास है। मस्क ट्रंप प्रशासन का भी हिस्सा हैं।