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नई दिल्ली: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने उनको महान दूरदर्शी राजनेता बताया। पीएम ने कहा कि उन्होंने वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए अथक प्रयास किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के निधन से बहुत दुख हुआ। वह एक महान दूरदर्शी राजनेता थे। उन्होंने वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए अथक प्रयास किया। भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने में उनका योगदान एक स्थायी विरासत छोड़ गया है। उनके परिवार, दोस्तों और अमेरिका के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे। जिमी कार्टर का भारत से खास नाता रहा है और जब वे भारत दौरे पर आए थे तो हरियाणा के एक गांव भी गए थे। जिमी कार्टर के सम्मान में उस गांव का नाम बदलकर उनके नाम पर रख दिया गया था। जिमी कार्टर का रविवार देर रात 100 साल की उम्र में निधन हो गया। जिमी कार्टर अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति थे।

भारत-अमेरिका साझेदारी के युग की शुरुआत की

जिमी कार्टर सेंटर ने एक बयान में कहा कि कार्टर के भारत दौरे ने ही भारत-अमेरिका की स्थायी साझेदारी की नींव रखी, जिससे दोनों देशों को फायदा हुआ। कार्टर सरकार के बाद से अमेरिका और भारत ने ऊर्जा, मानवीय सहायता, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष सहयोग, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत, आतंकवाद विरोधी आदि क्षेत्रों में मिलकर काम किया। 2000 के दशक के मध्य में, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने पूर्ण असैन्य परमाणु सहयोग की दिशा में काम करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया था और तब से द्विपक्षीय व्यापार में भारी वृद्धि हुई है।

जिमी कार्टर भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे। जिमी कार्टर का भारत से खास नाता रहा है और जब वे भारत दौरे पर आए थे तो हरियाणा के एक गांव भी गए थे। जिमी कार्टर के सम्मान में उस गांव का नाम बदलकर उनके नाम पर रख दिया गया था। जिमी कार्टर का रविवार देर रात 100 साल की उम्र में निधन हो गया। जिमी कार्टर अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिमी कार्टर के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता, राजनेता और मानवतावादी खो दिया है।

हरियाणा के गांव से है खास नाता

जिमी कार्टर ने भारत दौरे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस घोषणा पत्र के साथ ही भारत और अमेरिका के बीच संबंधों का नया दौर शुरू हुआ था। जिमी कार्टर सेंटर के अनुसार, 3 जनवरी, 1978 को कार्टर और तत्कालीन प्रथम महिला रोजलिन कार्टर नई दिल्ली से एक घंटे की दूरी पर स्थित हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे। दरअसल जिमी कार्टर की मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में पीस कॉर्प्स के साथ एक स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में इस गांव में काम किया था। जिमी कार्टर के गांव आने और उनके गांव से संबंध के बाद गांव के लोगों ने कार्टर के सम्मान में गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी कर दिया था।

भारत-अमेरिका साझेदारी के युग की शुरुआत की

जिमी कार्टर सेंटर ने एक बयान में कहा है कि कार्टर के भारत दौरे ने ही भारत-अमेरिका की स्थायी साझेदारी की नींव रखी, जिससे दोनों देशों को फायदा हुआ। कार्टर सरकार के बाद से अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा, मानवीय सहायता, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष सहयोग, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत, आतंकवाद विरोधी आदि क्षेत्रों में मिलकर काम किया है। 2000 के दशक के मध्य में, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने पूर्ण असैन्य परमाणु सहयोग की दिशा में काम करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया था और तब से द्विपक्षीय व्यापार में भारी वृद्धि हुई है।

साल 2010 में, वाशिंगटन डीसी में पहली यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक डायलॉग हुई, जिसमें राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 'अभूतपूर्व साझेदारी' की शुरुआत की। कार्टर प्रशासन से लेकर बाइडन प्रशासन तक अमेरिका-भारत संबंधों का दायरा गहरा हुआ है। साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन के पाकिस्तान के प्रति झुकाव के कारण भारत-अमेरिका के संबंधों में तनाव आ गया था, लेकिन जिमी ने तेजी से विकसित हो रही वैश्विक व्यवस्था में एक लोकतांत्रिक भागीदार के रूप में भारत के साथ फिर से जुड़ने के महत्व को समझा।

मानवता की सेवा के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे गए

जिमी कार्टर का रविवार देर रात जॉर्जिया में उनके घर पर निधन हुआ। 1 अक्तूबर 1924 को जन्मे जिमी कार्टर साल 1977 से लेकर 1981 तक अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति रहे। कार्टर मेलानोमा नामक बीमारी से पीड़ित थे। यह एक तरह का स्किन कैंसर होता है और यह कार्टर के लिवर और दिमाग तक फैल गया था। कार्टर का इलाज उनके घर पर ही चल रहा था। राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद कार्टर ने 'कार्टर सेंटर' नामक संस्था के जरिए मानवता के लिए काम किया। इसके लिए उन्हें साल 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।

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