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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि लोकसभा चुनावों पर सार्वजनिक बहस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए वे 100 फीसदी तैयार हैं। इसके एक दिन बाद उन्होंने दो पूर्व जज और एक वरिष्ठ पत्रकार के एक पत्र का औपचारिक रूप से जवाब दिया है। इस पत्र के जरिए राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मोदी को ऐसे आयोजन का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया है।

राहुल गांधी ने संभावित आयोजकों से कहा कि वे या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बहस में शामिल होकर प्रसन्न होंगे। अगर पीएम भी ऐसा करने के लिए सहमत हैं तो उन्हें बताएं।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन लोकुर, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजीत प्रकाश शाह और वरिष्ठ पत्रकार और 'द हिंदू' के पूर्व संपादक एन राम ने गुरुवार को पीएम मोदी और राहुल गांधी को पत्र लिखकर उनके सामने सार्वजनिक बहस का प्रस्ताव रखा था। पत्र में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव अपने आधे पड़ाव पर पहुंच गया है और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के घोषणा पत्रों और प्रमुख मुद्दों के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।

लेकिन कोई "सार्थक प्रतिक्रिया" नहीं हुई है।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने में मददगार होगी बहस

पत्र में कहा गया है कि, "हमारा मानना है कि इस उद्देश्य के लिए गैर-पक्षपातपूर्ण और गैर-व्यावसायिक मंच पर सार्वजनिक बहस के जरिए हमारे नेताओं को सीधे सुनना नागरिकों के लिए अत्यधिक फायदेमंद होगा। यह आदर्श होगा यदि जनता न केवल प्रत्येक पक्ष के सवालों को सुने, बल्कि उस पर प्रतिक्रियाएं भी जान सके। हमारा मानना है कि इससे हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने में काफी मदद मिलेगी।''

एन राम और दो पूर्व जजों ने राहुल गांधी की प्रतिक्रिया पर जवाब देते हुए कहा कि गांधी ने शनिवार को कहा कि वे "प्रोडक्टिव और ऐतिहासिक बहस" में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं। देश प्रधानमंत्री से इस बातचीत में भाग लेने की उम्मीद करता है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट की गई प्रतिक्रिया में कहा कि "मैंने आपके निमंत्रण पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी के साथ चर्चा की है। हम सहमत हैं कि इस तरह की बहस से लोगों को हमारे संबंधित दृष्टिकोण को समझने में मदद मिलेगी और वे एक विकल्प चुन सकेंगे। हमारी संबंधित पार्टियों पर अप्रमाणित आरोपों पर लगाम लगाना भी महत्वपूर्ण है।“

जनता नेताओं की बात सीधे सुनने की हकदार

उन्होंने कहा कि "जनता चुनाव लड़ने वाली प्रमुख पार्टियों के नेताओं की बात सीधे सुनने की हकदार है। इसी के मुताबिक, मैं या कांग्रेस अध्यक्ष इस तरह की बहस में भाग लेने में खुश होंगे। कृपया हमें बताएं कि क्या और कब प्रधानमंत्री भाग लेने के लिए सहमत हैं। इसके बाद हम बहस के ब्यौरे और इसके फारमेट पर चर्चा कर सकते हैं।"

राहुल गांधी से शुक्रवार को एक कार्यक्रम में निमंत्रण के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि "मैं प्रधानमंत्री के साथ बहस करने के लिए 100 प्रतिशत तैयार हूं। लेकिन मैं जानता हूं कि पीएम मेरे साथ बहस के लिए सहमत नहीं होंगे। कांग्रेस की ओर से ऐसी बहस में अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी हिस्सा ले सकते हैं।''

अमेरिका में सन 1947 से चला आ रहा है बहस का प्रचलन

अमेरिका में 1947 से राष्ट्रपति पद के दावेदारों के बीच बहस के आयोजन का प्रचलन है। सन 1947 में जब दो रिपब्लिकन दावेदार मौखिक मुकाबले के लिए सहमत हुए थे, तो इसे रेडियो पर प्रसारित किया गया था। पहली टेलीविजन बहस 1952 में हुई थी। अमेरिका में कुछ मौकों को छोड़कर, बहसें लगातार होती रही हैं। अमेरिका के राजनीतिक परिदृश्य में मतदाताओं को अपने उम्मीदवारों का आकलन करने, विभिन्न मुद्दों पर उनकी स्थिति को समझने के लिए बहस का मंच उपलब्ध कराया जाता है।

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