नई दिल्ली: घूस लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में लोकसभा से निष्कासित टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को फिलहाल राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने निष्कासन के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि महुआ का संसद से निष्कासन बना रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल उनको अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। ये मामला इतना आसान नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने महुआ की संसद कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत देने की अर्जी को ठुकरा दिया।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट मोइत्रा के निष्कासन के खिलाफ अर्जी का परीक्षण करेगा। अदालत ने लोकसभा के महासचिव को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर को पेश की गई 'कैश फॉर क्वेरी' में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। महुआ मोइत्रा की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी आज कोर्ट में पेश हुए।
वकील सिंघवी ने कहा कि महुआ को केवल अपनी लॉगिन आईडी शेयर करने की वजह से निष्कासित किया गया है। उन्होंने कहा कि रिश्वत के आरोपों पर गौर करना होगा।
महुआ मोइत्रा की अयोग्यता का होगा परीक्षण
सर्वोच्च अदालत महुआ मोइत्रा की अयोग्यता का परीक्षण करेगी। आदालत ने लोकसभा सचिव को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है। बता दें कि महुआ ने संसद सदस्यता से अयोग्यता के फैसले को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम याचिका में उठाए गए मुद्दों की मेरिट पर फिलहाल टिप्पणी नहीं कर रहे। हम इन मुद्दों पर मामला खुला रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जवाब देने के लिए लोकसभा महासचिव को तीन हफ्ते का समय दिया है। इसके बाद महुआ को भी तीन हफ्ते में जवाब देना होगा।
संसद सदस्यता रद्द मामले में महुआ को फिलहाल राहत नहीं
बता दें कि कैश-फॉर-क्वेरी मामले में लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले पर सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने की। दरअसल महुआ मोइत्रा ने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।