नई दिल्ली: संविधान दिवस समारोह पर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने देश को संबोधित करते हुए भरोसा दिलाया कि न्यायपालिका के दरवाजे हर एक नागरिक के लिए लिए हमेशा खुले हैं। उन्होंने कहा कि किसी को भी अदालत में आते हुए नहीं डरना चाहिए। लोगों का विश्वास ही हमारा श्रद्धास्थान है।
सीजेआई ने कहा कि यहां आया हर एक मुकदमा संविधान के राज की मिसाल है। संविधान अन्य विवादों के साथ राजनीतिक विवाद सुलझाने का भी अधिकार देता है। बाबासाहेब अंबेडकर जी की प्रतिमा प्रतीक है कि संविधान न्याय के लिए कोर्ट तक पहुंचने का अधिकार भी सुनिश्चित करता है।
न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा: सीजेआई
चीफ जस्टिस ने कहा कि लोग साफ हवा और साफ पानी की आस लिए भी सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में लोगों का भरोसा इस कदर है कि वो पोस्टकार्ड के जमाने में भी एक चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाते रहे हैं और संतुष्ट होते रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स इसकी गवाह हैं।
सीजेआई ने कहा कि पिछले साल राष्ट्रपति ने जेलों में भीड़भाड़ पर चिंता जताई थी। इस पर भी काम किया गया. उन्होंने कहा कि हमने जेलों और ट्रायल कोर्टों को आदेश को जल्द से जल्द पहुंचाने की व्यवस्था को तेज किया है। इसके अलावा सालों पुरानी जेल नियमावलियों को दुरुस्त करने के लिए परीक्षण किया जा रहा है।
सीजेआई ने बताया- क्यों मना रहे संविधान दिवस?
अंबेडकर की मूर्ति स्थापना पर सीजेआई ने कहा कि बाबा साहेब की प्रतिमा का अदालत तक पहुंचने का अधिकार ही संवैधानिक अधिकार और स्वतंत्रता का मूल है। जिस तरह संविधान हमें राजनीतिक मतभेदों को सुलझाने की अनुमति देता है, उसी तरह अदालत हमें विवादों को सुलझाने की अनुमति देती है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम गणतंत्र और स्वतन्त्रता दिवस मनाते हैं, फिर हम संविधान दिवस क्यों मना रहे हैं? इस सवाल का जवाब उपनिवेशवाद से मुक्ति के इतिहास में छिपा है, जहां देशों ने स्वतंत्रता के दरवाजे केवल आत्मसंकल्प के लिए खोले। चीफ जस्टिस ने कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर ने अपने संबोधन में पूछा था कि भारत के संविधान और आजादी का क्या होगा? उन्होंने कहा भारत ने न सिर्फ संवैधानिक लोकतंत्र को बरकरार रखा बल्कि लोगों ने इसे आत्मसात भी किया।
क्षेत्रीय भाषाओं में हो रहा सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अनुवाद: सीजेआई
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस तथ्य का सम्मान करते हैं कि संविधान मौजूद है और यह काम करता है, जिसकी वजह से हम और ये देश चल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने स्वतंत्रता की ऊर्जा को संवैधानिक लोकतंत्र के जहाज में सफलतापूर्वक जारी रखा है और यह आगे भी जारी रहे यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद पर कार्य किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बैठक के बाद से अंग्रेजी में 36,068 फैसले दिए हैं। सभी फैसले अब ई-एससीआर प्लेटफॉर्म पर निःशुल्क उपलब्ध हैं।
आज हम ई-एससीआर को हिंदी में लॉन्च कर रहे हैं। 21,388 निर्णयों का अनुवाद, परीक्षण और ई-एससीआर पोर्टल पर अपलोड किया गया है, बाकी निर्णयों का परीक्षण किया जा रहा है। वही पंजाबी, तमिल, गुजराती, मराठी, असमिया, उर्दू, गारो, खासी और कोंकणी, बंगाली में भी अनुवादित 9276 निर्णय ई-एससीआर पोर्टल पर अपलोड किए गए है।