नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार बताने संबंधी राहुल गांधी के बयानों पर कहा कि राहुल गांधी को संघ की सामूहिक निंदा नहीं करनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से कहा है कि या तो वह इस मामले पर माफी मांगे या फिर केस का सामना करें। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा, 'अगर आप माफी नहीं मांगते हैं तो आपको केस का सामना करना ही होगा।' गौरतलब है कि राहुल ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की पीठ ने कहा, ‘हमारा यह मानना है कि यह ऐतिहासिक रूप से सही हो सकता है लेकिन तथ्य या बयान लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए। आप सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं कर सकते।’ पीठ ने कहा कि ‘स्वतंत्रता को दबाया या कुचला नहीं गया है। मानहानिपूर्ण बयान पर अंकुश लगाया गया है। लेखक, नेता, आलोचक या विपक्षी क्या कहते हैं, आप में उसे सहन करने की महान क्षमता होनी चाहिए।’ पीठ ने राहुल के भाषण पर सवाल उठाए और आश्चर्य जताया कि ‘उन्होंने गलत ऐतिहासिक तथ्य का उद्धरण देकर भाषण क्यों दिया।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्होंने अपने विवेक से काम लिया है और राहुल गांधी को मामले में मुकदमे का सामना करना होगा। पीठ ने कहा, ‘हमें देखना है कि याचिकाकर्ता के आरोप भादंसं की धारा 499 (मानहानि) के तहत आते हैं या नहीं। फैसला हो चुका है। अगर आपने खेद नहीं जताया तो आपको मुकदमे का सामना करना होगा।’
इसने यह भी कहा, ‘कानून का मकसद लोगों को वादी बनाना नहीं है। कानून का उद्देश्य है कि लोग कानून का पालन करें। अराजकता के बजाए शांति और सौहार्दता का वातावरण हो।’ राहुल की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीन रावल पेश हुए जिन्होंने कहा कि भाषण में जो भी कहा गया वह सरकारी रिकॉर्ड के आधार पर कहा गया और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर कहा गया। रावल ने कहा कि वह सीधे तौर पर आरएसएस का जिक्र नहीं कर रहे थे। पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को पढ़ने के बाद कहा कि इसमें केवल इतना कहा गया है कि नाथूराम गोडसे आरएसएस का कार्यकर्ता था। पीठ ने कहा कि गोडसे ने गांधी को मारा और आएसएस ने गांधी को मारा, दोनों अलग..अलग बात है। इसने कहा, ‘आप इससे काफी आगे बढ़ गए और आप सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं कर सकते।’ न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि ‘इतिहास निजता का सबसे बड़ा दुश्मन है। कई वषरें से प्रयास हो रहा है कि ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हस्तियों के जीवन में प्रवेश कर उसे नया आयाम दिया जाए।’ डीएमडीके नेता और अभिनेता ए. विजयकांत द्वारा दायर याचिका में हाल के एक फैसले का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि सरकार की आलोचना एक बात है और ऐतिहासिक हस्तियों की आलोचना दूसरी बात है। विजयकांत ने याचिका में अपने एवं अन्य के खिलाफ दायर मामलों को चुनौती दी थी जिसमें उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को नोटिस जारी किया है। इसके बाद रावल ने दो हफ्ते के स्थगन की मांग करते हुए कहा कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल इस मामले में जिरह करेंगे और आज वह उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने प्रत्युत्तर दायर करने की भी मांग की। बहरहाल पीठ ने स्थगन देने के आग्रह से इंकार कर दिया और मामले की सुनवाई 27 जुलाई तय की और कहा कि मामले में और स्थगन नहीं दिया जाएगा। महात्मा गांधी की हत्या का आरोप कथित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगाने के संबंध में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का यह मामला दाखिल किया गया था। गौर हो कि संघ की भिवंडी इकाई के सचिव राजेश कुंटे ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने सोनाले में 6 मार्च को एक चुनावी रैली में कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गांधी जी की हत्या की। कुंटे ने कहा था कि कांग्रेस के नेता ने अपने भाषण के जरिए संघ की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की कोशिश की।