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नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा उत्तर प्रदेश चुनावों को साम्प्रदायिक या ध्रुवीकृत नहीं करना चाहती है, लेकिन यदि कैराना से पलायन के कुछ साक्ष्य हैं तो प्रदेश सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी सिर्फ मित्रवत मीडिया संगठनों को विज्ञापन दे रही है, आलोचना करने वाले संगठनों को नहीं। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि राम मंदिर को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चुनावी मुद्दा नहीं बनाया जाएगा और और उनकी पार्टी सिर्फ वोट पाने के लिए प्रदेश का ध्रुवीकरण नहीं करना चाहती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना गांव से कथित पलायन को लेकर बड़ा विवाद पैदा हो गया है, हालांकि राज्य के प्रशासन ने वहां किसी भी प्रकार के धार्मिक-पलायन पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, ‘हम किसी भी प्रकार से चुनाव को साम्प्रदायिक या ध्रुवीकृत नहीं करना चाहते हैं, लेकिन यदि कैराना से पलायन होने के थोड़े भी साक्ष्य हैं, तो यह महत्वपूर्ण मुद्दा है और राज्य सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए।’ क्षेत्र के कुछ भाजपा नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर दिए गए बयान के बारे में पूछने पर, जेटली ने कहा कि यदि विधानसभा क्षेत्रों में कोई स्थानीय स्थिति उत्पन्न होती है, स्थानीय विधायक उस स्थानीय मुद्दे पर प्रतिक्रिया देंगे ही लेकिन पार्टी समेकित रूप से विस्तृत विचार रखेगी।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश में फिलहाल सबसे बड़ा मुद्दा शासन की गुणवत्ता और कानून-व्यवस्था का है।’ उन्होंने कहा, ‘अंतत: सार्वजनिक रूप से जो भी बयान दिए गए हैं, वे सार्वजनिक ही हैं।’ जेटली ने कहा, ‘लेकिन, मैं आपको सिर्फ यह बता सकता हूं कि अंतत: पार्टी के अध्यक्ष तय करते हैं कि किसी बात पर उसका रूख क्या होगा और इसलिए जहां तक बात उत्तर प्रदेश चुनाव से जुड़ी है’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि भाजपा अयोध्या में मंदिर बनाने को प्रतिबद्ध है, लेकिन पहले हुए चुनावों में भी हमने हमेशा कहा है कि हम उसे चुनावी मुद्दा नहीं बनाने वाले हैं। हमारे लिए यह चुनावी मुद्दे से कहीं बढ़कर है।’ सेंसर बोर्ड को लेकर उपजे विवाद और उसके प्रमुख पहलाज निहालानी को बर्खास्त किया जाना चाहिए या नहीं, के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे अरुण जेटली ने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि एक बार हम उन नए दिशा निर्देशों (सेंसर बोर्ड के लिए) की घोषणा कर दें, फिर व्यक्ति की भूमिका नगन्य हो जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘व्यक्ति के साथ कैसे निपटा जाए, मुझे लगता है कि आपको सरकार पर भरोसा करना चाहिए। सरकार उनसे निपट लेगी और नियंत्रण की सलाह देगी या फिर उस मामले में जो भी उचित कार्रवाई बन पड़ेगा, वह करेगी।’ उन्होंने संकेत दिया कि सेंसर बोर्ड के लिए नए दिशा निर्देश कुछ ही सप्ताह में घोषित हो जाएंगे। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा कामकाज में हस्तक्षेप करने संबंधी अरविन्द केजरीवाल के आरोपों के बारे में जेटली ने कहा कि दिल्ली राज्य नहीं, बल्कि संघ शासित प्रदेश है। उन्होंने कहा, ‘यह केन्द्र सरकार की सीट है क्या हमारे पास ऐसा संघ शासित प्रदेश हो सकता है, जो कहे कि हम उपराज्यपाल को दरकिनार करेंगे? वरिष्ठ नौकरशाह दिल्ली में काम नहीं करना चाहते हैं आप के लिए प्रदर्शन करने और शासन करने का ऐतिहासिक अवसर है आपको अपने काम उपराज्यपाल के तहत करने होंगे।’ उन्होंने कहा, ‘देश में कई गैर-भाजपा राज्य सरकारें हैं, लेकिन सिर्फ एक संघ शासित प्रदेश ऐसे व्यवहार करता है जक्से उसके पास सम्पूर्ण सत्ता हो। मुझे लगता है कि दिल्ली में जो हो रहा है वह संवैधानिक अतिविरूपता है।’ विजय माल्या को ब्रिटेन से लाने में सरकार असफल क्यों रही है, इस मुद्दे पर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ब्रिटेन दुनिया के सबसे सभ्य सार्वजनिक जीवन वाले देशों में से एक है, ऐसे में ब्रिटेन का भारत के भगोड़ों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनना, मेरी समझ से बाहर है। उन्होंने कहा, ‘ब्रिटिश सरकार ने रूख अपनाया है कि यदि आप वैध पासपोर्ट के साथ देश में प्रवेश करते हैं तो उस व्यक्ति को निर्वासित नहीं कर सकते, आपको प्र्त्यपण के रास्ते आना होगा। और परंपरागत रूप से वे लोगों को प्रत्यर्पित करने में बहुत धीमे और अडियल रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘और मुझे लगता है कि जब आप भारत सरकार की आलोचना करते हैं, हम हर तरह का कदम उठाते हैं, लेकिन अंतत: हम किसी व्यक्ति को वहां से उठाकर तो नहीं ला सकते हैं। मैं सिर्फ आशा कर सकता हूं कि ब्रिटिश सरकार को एहसास होगा कि एक अधिकार क्षेत्र का भगोड़ा दूसरे अधिकार क्षेत्र में शरण नहीं पा सकता है। यह सभ्यता नहीं है। यह कम से कम ब्रिटिश सभ्यता तो नहीं है।’ भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख रघुराम राजन पर सुब्रमण्यम स्वामी के हमलों के बारे में जेटली ने कहा कि कुछ लोग ज्यादा बोलते हैं, लेकिन बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह पार्टी का रूख नहीं है।

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