मुंबई: लगातार राजनीतिक हमलों के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज (शनिवार) बैंक के गवर्नर पद पर दूसरे कार्यकाल से इंकार कर दिया। अचानक की गई इस घोषणा से रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर राजन के बने रहने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लग गया। राजन ने रिजर्व बैंक के कर्मचारियों को जारी संदेश में कहा, उचित सोच-विचार और सरकार के साथ परामर्श के बाद मैं आपके साथ यह साझा करना चाहता हूं कि मैं चार सिंतबर 2016 को गवर्नर के तौर पर कार्यकाल समाप्त होने पर शैक्षिक क्षेत्र में वापस लौट जाउंगा। राजन ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण, बैंकों बही-खातों की सफाई का काम पूरा नहीं हुआ है लेकिन उन्होंने सरकार के साथ विचार-विमर्श और परामर्श के बाद कार्यकाल पूरा होने पर जाने का फैसला किया है।राजन ने कहा कि वह देश की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध होंगे, भरोसा है कि मेरे उत्तराधिकारी आरबीआई को नयी उंचाइयों तक ले जाएंगे। गौरतलब है कि आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने पिछले दिनों की अर्थ व्यवस्था पर बेवाक बयान दिए थे। उसके बाद भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने राजन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। यहां तक कि स्वामी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आरबीआई गवर्नर के खिलाफ सीबीआई के अंतर्गत बनाई गई एसआईटी से जांच की मांग भी कर चुके हैं। स्वामी ने राजन पर आरोप लगाया कि आरबीआई ने स्माल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) को लाइसेंस देने में धांधली की है।
स्वामी का कहना था कि सरकारी नीति के तहत जिन संस्थाओं ने बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन किया और उनमें से जिन संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए उनमें से किसी ने भी तय शर्तों को पूरा नहीं किया है। इसके बावजूद इन्हें लाइसेंस दे दिए गए। स्वामी का कहना था कि इससे यह पता लगता है कि लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई है और इससे इरादों पर शक होता है। भाजपा नेता का आरोप था कि इससे साफ होता है कि इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार हुआ है और जांच की जानी चाहिए। स्वामी ने कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम पर भी निशाना साधा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि वित्त मंत्रालय में अब भी कई अधिकारी उनकी पसंद के हैं या करीबी हैं। इस पूरे मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की बू आती है और इसके जरिए नेताओं और नौकरशाहों को लाभ मिलने की शंका है। राज्यसभा सांसद ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में बताया है कि छोटे उद्यमियों को लाभ पहुंचाने की नीयत से शुरू की गई इस सेवा में गड़बड़ी की जा रही है। उन्होंने दावा किया है कि कुल 72 आवेदनों में केवल 10 को सफल पात्र पाया गया। स्वामी का दावा है कि इनमें से आधे से ज्यादा तय शर्तों को पूरा नहीं करते हैं। स्वामी ने अपने पत्र में बताया है कि सफल पात्रों में आरबीआई की गाइडलाइन के उलट विदेशी होल्डिंग वाले लोग हैं। कई तो पूरी तरह है विदेशी हैं। स्वामी का तो यह भी दावा है कि ज्यादतर सफल पात्रों में एक या दो समान विदेशी कंपनी ही हैं जो खास समुदाय के लोगों की हैं।