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अकरा: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां कहा कि आतंकवाद एक ऐसा दंश है जो सीमाएं नहीं जानता और स5य दुनिया के सामूहिक प्रयासों से इसका खात्मा किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने इस चुनौती का सामना कर रहे घाना के साथ एकजुटता भी जाहिर की। घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रैमानी महामा द्वारा कल आयोजित भोज को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि भारत तीन दशकों से आतंकवाद का पीड़ित रहा है और घाना की यह चिंता साझा करता है कि आतंकवाद वैश्विक खतरा बन गया है। दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए मुखर्जी ने कहा ‘‘यह एक दंश है और यह किसी खास सीमा तक सीमित नहीं है। इसकी कोई विचारधारा नहीं है सिवाय भयावह विनाश की विचारधारा के। इसे स5य दुनिया के सामूहिक प्रयासों से खत्म किया जाना चाहिए। भारत आपके साथ एकजुटता दर्शाता है क्योंकि आप इस चुनौती का सामना कर रहे हैं।’’ महामा ने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए घाना के पहले राष्ट्रपति क्वामे क्रुमाह और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के रिश्तों को याद किया। निगरुट आंदोलन की स्थापना में क्रुमाह और नेहरू दोनों की ही अहम भूमिका थी। मुखर्जी ने अपने संबोधन में रवीन्द्रनाथ टैगोर की ‘‘अफ्रीका’’ शीषर्क की कविता को उद्धृत किया।

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