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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने मथुरा कांड की दो पेज की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को दे दी है। सरकार ने माना कि एलआईयू ने जवाहरबाग में भारी मात्रा अवैध हथियार होने की सूचना दी थी। तीन जून को भेजी गई रिपोर्ट में पुलिस-प्रशासन की भूमिका, उपद्रवियों के नक्सलियों से संपर्क का कोई जिक्र नहीं है। यूपी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह आयुक्त स्तर की जांच के बाद पता चलेगा। रिपोर्ट से गृह मंत्रालय संतुष्ट नहीं है। मंत्रालय का मानना है कि राज्य सरकार ने लीपापोती का प्रयास किया है। गंभीर प्रशासनिक व राजनीतिक चूक को छिपाने का प्रयास हो रहा है। स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) की रिपोर्ट के आधार पर अवैध असलहे, विस्फोटक सामग्री तथा कुछ लोगों को बंधक बनाए जाने की सूचना पर रेकी करना जरूरी था। दो जून को भी एसपी सिटी एवं एसपी ग्रामीण के नेतृत्व में पुलिस बल, पीएसी, आरआरएफ के साथ जेल परिसर की तरफ रेकी की गई। इस रैकी के दौरान उपद्रवियों ने ईंट पत्थर अवैध असलहे से फायरिंग शुरू कर दी। बता दें कि रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में 1 जनवरी 2014 को जनपद सागर मध्यप्रदेश से एक यात्रा प्रारंभ होकर दिनांक 15 मार्च 2014 को जवाहरबाग पहुंची थी। उपद्रवियों पर पहले ही विभिन्न थानों में 20 अभियोग दर्ज हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि जैसे ही पुलिस वालों की जान जाने की सूचना फैली, गुस्साए लोगों ने जवाहर बाग से मेन गेट व बाउंड्री कूदकर भागे उपद्रवियों को रास्ते में मार-पीटकर घायल कर दिया गया।

इन्हे पुलिस ने अस्पताल भिजवाया। रिपोर्ट में बताया गया है कि उपद्रवियों की गई फायरिंग से पुलिस के 45 एवं 56 उपद्रवी घायल हुए। जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। अब तक 330 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है।

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