जिनेवा: भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य बनने के प्रयासों को आज उस वक्त एक ताकत मिली जब स्विट्जरलैंड ने उसकी दावेदारी का समर्थन किया तथा दोनों देशों ने कर चोरी और कालेधन की समस्या का मुकाबला करने में सहयोग को मजबूत बनाने का भी संकल्प किया। स्विस राष्ट्रपति जोहानन शाइंडर-अम्मान ने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ समग्र बातचीत करने के बाद 48 सदस्यीय एनएसजी की सदस्यता के दावे को स्विट्जरलैंड के समर्थन का ऐलान किया। स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा कालेधन की समस्या से निपटने में सहयोग का विस्तार करने पर सहमति जताना दोनों नेताओं के बीच बातचीत के प्रमुख बिंदुओं में शामिल रहा। इसके अलावा दोनों ने व्यापार, निवेश और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत बनाने पर भी बातचीत की। शाइंडर-अम्मान ने साझा प्रेस वार्ता में कहा, ‘हमने भारत से एनएसजी का सदस्य बनने के उसके प्रयासों में समर्थन का वादा किया है।’ भारत एनएसजी की सदस्यता के लिए बीते कुछ वर्षों से प्रयास कर रहा है। बीते 12 मई को उसने सदस्यता के लिए औपचारिक रूप आवेदन भी किया। समूह वियना में नौ जून और सोल में 24 जून को होने वाली बैठकों में भारत के आवेदन पर गौर करेगा। मोदी ने कहा, ‘मैं एनएसजी के भारत की सदस्यता के लिए स्विट्जरलैंड की सहमति और समर्थन के लिए राष्ट्रपति का धन्यवाद करता हूं।’ उन्होंने कहा कि काले धन और कर चोरी की समस्या का मुकाबला करना भी दोनों देशों के लिए ‘साझा प्राथमिकता’ है।
मोदी ने कहा, ‘कर चोरों को न्याय के जद में लाने के लिए सूचना के जल्द और त्वरित अदान-प्रदान की जरूरत पर चर्चा की। सूचना के स्वत: आदान-प्रदान पर समझौते को लेकर बातचीत की जल्द शुरुआत इस संदर्भ में महत्वपूर्ण कदम है।’ स्विस राष्ट्रपति ने कहा कि कर जालसाजी और चोरी से लड़ने के लिए दोनों देश अच्छी प्रगति कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि भारत और स्विट्जरलैंड वर्तमान वैश्विक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की प्रतिबद्धता भी साझा करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत और स्विट्जरलैंड दोनों विश्व में शांति, समझ और मानवीय मूल्यों की आवाज रहे हैं। बीते सात दशकों में हमारी मित्रता निरंतर रूप से आगे बढ़ी है। आज, राष्ट्रपति और मैंने हमारे बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की। हमने स्विस सीईओ के साथ भी विस्तृत चर्चा की।’ दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंधों की बात करते हुए मोदी ने कहा कि कई स्विस कंपनियां भारत में घर घर में पहचानी जाती हैं तथा दोनों पक्ष आर्थिक संबंधों को और गहरा करने के इच्छुक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत बहाल करने की अपनी तत्परता दोहराई। भारत और ईएफटीए के बीच व्यापार वार्ता बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और डेटा सुरक्षा जैसे कई मुद्दों को लेकर ठप है। ईएफटीए स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नार्वे और लीचेंस्टीन देशों का समूह है। एफटीए के लिए बातचीत वर्ष 2008 में शुरू हुई थी। मोदी ने कहा, ‘हम सभी स्विस अर्थव्यवस्था की मजबूती से परिचित हैं। लेकिन, भारत भी बड़े बदलाव से गुजर रहा है। हम आज विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। लेकिन यही काफी नहीं है।’ मोदी ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्मार्ट एवं दीर्घकालिक शहरों, ठोस कृषि क्षेत्र, उज्जवल निर्माण एवं गतिशील सेवा क्षेत्र से संचालित हो। और, इसके इंजन रेल, सड़क, हवाई अड्डे और डिजिटल संपर्क के विश्वस्तरीय श्रेणी के नेटवर्क से चलें।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष भारत की जरूरतों के अनुरूप स्विस कौशल एवं शिक्षा प्रशिक्षण प्रणाली पर काम करने पर सहमत हुए। उर्जा सुरक्षा के संदर्भ में, मोदी ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के बजाय अक्षय उर्जा पर भरोसा भारत का मार्गदर्शक ध्येय होगा। उन्होंने कहा, ‘हम हमारे विकास संबंधी जरूरतों और स्विस मजबूती के बीच सटीक संपर्क देखते हैं। इसलिए मैं स्विस कंपनियों को भारत के आर्थिक विकास में अहम साथी बनने के इस महान अवसर को भुनाने के लिए आमंत्रित करता हूं। आखिरकार सवा सौ करोड़ से अधिक की आर्थिक समृद्धि पूरे विश्व के लिए भी लाभप्रद होगी।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष भारत की जरूरतों के अनुरूप स्विस कौशल एवं शिक्षा प्रशिक्षण प्रणाली पर काम करने पर सहमत हुए। मोदी ने कहा कि भारत और स्विट्जरलैंड वर्तमान वैश्विक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की प्रतिबद्धता भी साझा करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत और स्विट्जरलैंड दोनों विश्व में शांति, समझ और मानवीय मूल्यों की आवाज रहे हैं। बीते सात दशकों में हमारी मित्रता निरंतर रूप से आगे बढ़ी है। आज, राष्ट्रपति और मैंने हमारे बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की। हमने स्विस सीईओ के साथ भी विस्तृत चर्चा की।’ दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंधों की बात करते हुए मोदी ने कहा कि कई स्विस कंपनियां भारत में घर घर में पहचानी जाती हैं तथा दोनों पक्ष आर्थिक संबंधों को और गहरा करने के इच्छुक हैं। उर्जा सुरक्षा के संदर्भ में, मोदी ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के बजाय अक्षय उर्जा पर भरोसा भारत का मार्गदर्शक ध्येय होगा। उन्होंने कहा, ‘हम हमारी विकास संबंधी जरूरतों और स्विस मजबूती के बीच सटीक संपर्क देखते हैं। इसलिए मैं स्विस कंपनियों को भारत के आर्थिक विकास में अहम साथी बनने के इस महान अवसर को भुनाने के लिए आमंत्रित करता हूं। आखिरकार सवा सौ करोड़ से अधिक की आर्थिक समृद्धि पूरे विश्व के लिए भी लाभप्रद होगी।’’ प्रधानमंत्री ने स्विट्जरलैंड के भारतीय फिल्मों की शूटिंग के लिए लोकप्रिय जगह होने के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संबंध द्विपक्षीय संबंधों के आधार और मानदंड हैं। इस संबंध में उन्होंने भारत द्वारा स्विस नागरिकों के लिए इस साल शुरू की गई ई पर्यटक वीजा सुविधा का जिक्र किया। मोदी ने कहा, ‘भारतीय फिल्म उद्योग की वजह से हमारे बीच स्विस के प्राकृतिक दृश्यों की सुंदरता बहुत लोकप्रिय है। लेकिन हम भारत में बड़ी संख्या में स्विस पर्यटकों का स्वागत करने के भी इच्छुक हैं।’ प्रधानमंत्री ने भारतीय टेनिस खिलाड़ियों सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस के स्विस खिलाड़ी मार्टिना हिंगिस के साथ कई ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिता जीतने का भी उल्लेख किया। पेस और मार्टिना ने पिछले सप्ताह फ्रेंच ओपन टेनिस टूर्नामेंट के मिश्रित युगल वर्ग में खिताब जीता था। इससे पहले यह जोड़ी वर्ष 2015 में ऑस्ट्रेलियाई ओपन, विंबलडन और अमेरिकी ओपन खिताब जीत चुकी है।