नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के विभिन्न भागों में सूखे और पानी की कमी के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों से शनिवार को मिले। उन्होंने कहा कि देश के कुछ भागों में उत्पन्न सूखे की समस्या पर केंद्र, राज्य, स्थानीय निकाय, एनजीओ और नागरिकों सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सूखे के हालात पर समीक्षा बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एस. सिद्धारमैया एवं अन्य अधिकारी शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि सूखे के कारण लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं का निवारण करने के लिए केन्द्र और राज्यों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने सूखे से बचाव के लिए मध्य और दीर्घकालिक समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने का भी आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और जलाशयों को दोबारा भरने की योजना बनाने के लिए रिमोट सेंसिंग और उपग्रह से चित्र लेने जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने पर बल दिया। वैज्ञानिक परामर्श के आधार पर फसल की पद्धतियों में बदलाव की आवश्यकता, बूंद और छिड़काव सिंचाई (ड्रिप एंड स्प्रिंकलर इरिगैशन) और जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए फर्टिगेशन और बेहतर जल प्रबंधन के लिए विशेषकर महिलाओं सहित समुदाय की भागीदारी पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री ने शहरी अपशिष्ट जल को उपचारित करके आसपास के इलाकों में खेती बाड़ी में उसका उपयोग करने का भी आह्वान किया।
उन्होंने जीपीएस जैसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए प्रभावित इलाकों में टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाए जाने की स्थिति पर नजर रखने की जरूरत का उल्लेख किया। बैठक के दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि जल संरक्षण और जल भरने के प्रयासों के लिए आगामी मानसून से पहले की अवधि का किस प्रकार बेहतर उपयोग किया जाए। इन प्रयासों में गाद निकालने, नदियों में दोबारा जल भरने, चैक डैम और जल भंडारण के अन्य तरीके शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सूखे के हालात के कारण लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं के निवारण के लिए किए गए प्रयासों की प्रधानमंत्री को जानकारी दी। इनमें पेयजल का प्रावधान, बुंदेलखंड में जरूरतमंदों के लिए भोजन, रोजगार, मवेशियों के लिए जल और चारा तथा दीर्घ और मध्य कालिक समाधानों के लिए प्रयास शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि राज्य ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सच्चे मायनों में लागू करने के लिए भी आरंभिक कदम उठाए हैं। अखिलेश ने कहा कि प्रदेश के 50 जिले सूखे की चपेट में हैं, जहां पानी का गंभीर संकट है। राज्य ने टैंकों, तालाबों और खेत तालाबों सहित 78,000 जलाशयों को फिर चालू करने और बहाल करने, एक लाख नए जलाशयों तथा रिचार्ज स्ट्रक्च र्स के लिए कार्ययोजना साझा की। यह कार्य मनरेगा और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी योजनाओं में उपलब्ध धन का उपयोग करते हुए संपन्न किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि देश में महाराष्ट्र एवं ओडिशा के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सूखे जैसे हालात हैं और गंभीर जल संकट है।