नई दिल्ली: विपक्ष ने सोमवार को लोकसभा में सामान्य बजट को गांव और किसानों का हितैषी कहने के दावों को 'आधा-अधूरा' सच करार दिया और सरकार के 'अच्छे दिन' के नारे पर चुटकी लेते हुए कहा कि 'अच्छे दिन' केवल संघ के आए हैं, जो हाफ पैंट से फुल पैंट तक पहुंच गए हैं। एनसीपी के तारिक अनवर ने कहा कि सरकारी नजर से देखें तो बजट में की गई घोषणाओं से 'अच्छे दिनों' की कल्पना की जा सकती है, लेकिन गहराई से अध्ययन करने पर यह भ्रम दूर हो जाता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, 'अच्छे दिन केवल संघ के आए हैं, जो हाफ पैंट से पूरी पैंट तक पहुंच गए हैं।' अनवर ने कहा कि बजट को किसान और गांवों का हितैषी बताया जा रहा है, जो आधा-अधूरा सच है। उन्होंने कहा कि बजट पेश किए जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अपनी सरकार की परीक्षा बताया था और बजट पेश किए जाने के बाद सरकार ने खुद को शाबाशी देकर इस परीक्षा में स्वयं को उत्तीर्ण भी कर लिया।
अनवर ने आरोप लगाया कि इस बजट में भी सरकार ने पहले की तरह 'होशियारी' की है। उन्होंने कहा, कहां तो नरेंद्र मोदी काला धन वापस लाने के वादे पर सत्ता में आए, लेकिन अब उनकी सरकार ने जितना चाहे काला धन रखने वालों को 45 प्रतिशत टैक्स देकर उसे सफेद करने की सहूलियत दे दी है। आरजेडी के जयप्रकाश नारायण ने इसे 'हवा-हवाई बजट' बताते हुए आरोप लगाया कि चुनाव में मंहगाई, बेरोजगारी समाप्त करने और कालाधन वापस लाने के वादे करके नरेंद्र मोदी ने जनता और देश से धोखा किया है, क्योंकि इनमें से किसी काम को वह कर नहीं पाए हैं। तृणमूल कांग्रेस के तापस मंडल ने कहा कि केंद्र सरकार अंबेडकर का नाम बार-बार लेती है, लेकिन उनका नाम लेना तभी सार्थक हो सकता है जब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उप योजना में आवंटन पर्याप्त बढ़ाया जाए। सपा के धर्मेंद्र यादव ने बजट को 'आंकड़ों की जादूगरी और बाजीगरी' वाला कहा।