नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि इशरत जहां मामले में कल लोकसभा में ‘एकतरफा चर्चा’ करके उसने नेतृत्व और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर अनाप-शनाप आरोप लगाए गए। उसने मांग की कि कांग्रेस की ओर से भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाए। सरकार ने हालांकि उसके आरोप को खारिज करते हुए कहा कि जब कांग्रेस की ओर से ही चर्चा में भाग लेने का किसी ने नोटिस नहीं दिया तो इसमें लोकसभा अध्यक्ष या सरकार क्या कर सकती है। प्रश्नकाल के बाद सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह मामला उठाया। उन्होंने आरोप लगाया, ‘इशरत जहां मामले पर विपक्ष को नहीं बोलने दिया गया। सरकार ने पक्षपातपूर्ण चर्चा कराई और कांग्रेस तथा उसे नेतृत्व पर बेबुनियाद आरोप लगाए। एकतरफा चर्चा में कांग्रेस नेतृत्व और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर गढ़े हुए अनाप शनाप आरोप लगाए गए।’ उन्होंने अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से आग्रह किया कि कल ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत हुई चर्चा में भाजपा सदस्यों और सरकार की ओर से लगाए गए कथित बेबुनियाद आरोपों का जवाब देने के लिए कांग्रेस को आज अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने खड़गे के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सदन की कार्यमंत्रण समिति की बैठक में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत इशरत जहां मुद्दे पर चर्चा की सहमति बनी थी। उस बैठक में कांग्रेस भी शामिल थी लेकिन इस पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर बोलने का कोई प्रस्ताव नहीं आया। रूडी ने कहा कि यह कहना भी गलत है कि इस मुद्दे पर केवल भाजपा के सदस्य बोले। उन्होंने कहा कि इसमें विपक्षी दल बीजद के सदस्य ने भी हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस की ओर से किसी ने बोलने का प्रस्ताव ही नहीं किया तो इसमें सरकार को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के नियमों के तहत होने वाली चर्चा में उन्हीं सदस्यों को बोलने की अनुमति होती है, जो इसके लिए नोटिस देते हैं।