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नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने गुरुवार को कहा कि उसकी कम होती ताकत को देखते हुए पाकिस्तान और चीन से एकसाथ युद्ध की स्थिति में दो मोर्चे पर हवाई सैन्य अभियान को ‘पूरी तरह क्रिन्यान्वित करने’ के लिए उसके पास पर्याप्त संख्या में युद्धक विमान नहीं है। उसने 36 राफेल विमानों के अतिरिक्त पांचवीं पीढ़ी के और युद्धक विमानों की मांग की है क्योंकि इसकी जरूरत है। वायुसेना की ओर से यह खुलासा उस वक्त किया गया है जब उसकी स्क्वाड्रन की क्षमता 33 हो गई, जबकि इसी स्वीकृत क्षमता 42 विमानों की है। इन 33 विमानों में बड़ा हिस्सा रूसी मूल के सुखोई-30 विमानों का है। सुखोई-30 फिलहाल देश की अग्रिम पंक्ति का विमान है। इस विमान की सेवा के समय उपलब्धता की स्थिति बहुत खराब है जो करीब 55 फीसदी है। इसका मतलब यह है कि 100 विमानों में से करीब 55 विमान एक समय पर सेवा में तैनात किए जा सकते हैं। वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल बी एस धनोवा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे पास संख्या इतनी उपयुक्त नहीं है कि दो मोर्चे वाली स्थिति में हवाई अभियान को क्रियान्वित किया जाए। दो मोर्चे वाले हालात की संभावना होती है जिसे आपको करने की जरूरत होती है।

परंतु क्या संख्या उचित है? नहीं। स्क्वार्डन कम हो रहे हैं।’ उनसे सवाल किया गया था क्या वायुसेना दो मोचरें पर युद्ध की स्थिति से निपटने की क्षमता रखी है। वायुसेना के सूत्रों ने कहा कि अगले कुछ वर्षों में दो मोर्चे पर युद्ध की आशंका नहीं है और साथ ही वायुसेना यह आशा करती है कि वह जरूरी क्षमता हासिल कर लेगी। धनोवा ने कहा, ‘हमने अपनी चिंता से सरकार को अवगत करा दिया है। सरकार इस समस्या से अवगत है और यही वजह है कि 36 राफेल विमानों की खरीद पर हस्ताक्षर किया गया है।’ यह पूछे जाने पर कि मध्यम श्रेणी के बहुद्देशीय विमानों की और जरूरत है तो धनोवा ने कहा कि हां इसकी जरूरत है। वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि 36 लड़ाकू राफेल विमानों के करार को मूर्त रूप दिए जाने के बाद और विमानों को लेकर फैसला किया जाएगा।

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